Sunday 21 February 2021

जय-जय-जय चापलूस महाराज

जय-जय-जय चापलूस महाराज 
स्वाभिमान ना आता तुमको रास।
पिछल्ले बने घूमते तुम 
नहीं रुकता कभी 
तुम्हारा कोई काज ।
गुडबुक्स में ऊपर रहते तुम 
बॉस करता तुम पर नाज़ ।
चापलूसी,व्यवहार-कुशल ...
पड़े रहते चरणों के पास।।

शहद में डुबती
वाणी तुम्हारी ।
हर पक्ष में होती 
हामी तुम्हारी ।
उल्लू सीधा करने में ...
तलवे चाटना न, लगता भार।

जय-जय-जय चापलूस महाराज 
स्वाभिमान ना आता तुमको रास।।

स्वार्थ ही परमार्थ ।
स्वाभिमान का परित्याग ।
गिड़गिड़ाते, गिरे रहने पर 
न आता तनिक भी लाज।

हम तो देते तुम्हें एक ही नाम ...
बिन पेंदी का लोटा
जो किसी का ना होता 
बस...
ढलमलाता 
एक कोने से दूसरे कोने तक 
जब तक न पूर्ति हो तुम्हारा स्वार्थ।

#जनहित में जारी
"ऐसे कार्टून लोग अवसरवादी,परिवार व दायित्वों के प्रति कमजोर, धूर्त,पाखंडी व धोखेबाज होते हैं"।।

।।सधु चन्द्र।। 
चित्र - साभार गूगल

24 comments:

  1. बिल्कुल सही आकलन ! पर यह प्रजाति भी आदिकाल से अस्तित्व में है

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 23 फरवरी 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. मेरी रचना को मंच प्रदान करने के लिए हार्दिक आभार दिव्या जी।
      सादर।

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  3. चापलूसों की बढ़िया आरती उतारी है आपने। आपको बधाई।

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  4. वाह👌👌👌 रोचक और सटीक चापलूस वंदना सधू जी!! अहम हिस्सा है ये चाटुकार ज़िंदगी का। हार्दिक शुभकामनाएं इस दिलचस्प रचना के लिए🌹🌹

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    1. Please see my blog http://oyfdvb.blogspot.com/2021/02/blog-post_33.html

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  5. मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु हार्दिक आभार कामिनी जी।
    सादर।

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  6. सुन्दर प्रस्तुति.

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  7. क्या खूब लिखा है सधु जी ! हम जैसे लोगों का तो यह भोगा हुआ यथार्थ है ।

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  8. प्रशंसा और चापलूसी के बीच एक बहुत महीन रेखा है.
    न जाने कब स्वामिभक्ति चाटुकारिता का जमा पहन ले.

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  9. करारा व्यंग्य! खरी खरी ।
    सुंदर सृजन।

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  10. बहुत खूब....
    चाटुकारों का लाजवाब चरित्र चित्रण...
    बधाई सधु चन्द्र जी 🌹🙏🌹

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  11. Replies
    1. आप से निवेदन है,कि हमारी कविता भी एक बार देख लीजिए और अपनी राय व्यक्त करने का कष्ट कीजिए आप की अति महान कृपया होगी

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  12. सटीक व्यंग्य... लाजवाब सृजन ।

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  13. आपकीे रचना  वास्तविकता की परिचयात्मक भेंट है।

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  14. वास्तविकता पर आधारित रचना बहुत खूब

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