Monday, 19 October 2020

रात और दिन के बीच का भंवर

अरुणोदय की लालिमा 
छिटकती हुई कहती है  कि ... 
अभी सवेरा हुआ नहीं।
पर अब रात्रि भी नहीं...

यह रात और दिन के बीच का भंवर है 
यह अंधकार और प्रकाश के मध्य की लहर है 
छली कुक्कुटों के बाग पर न ध्यान को भटकाओ
यह ध्यान,योग व ज्ञान  का समय है 
यह परीक्षण का समय है, यह धैर्य का समय है।
शठ रूपी अंधकार से मात्र स्वयं को सुरक्षित कर लो 
विद्वता रूपी प्रकाश तुम्हारे शरण में है। 

निश्चित कर लो सवेरा तो होगा~~~
बत्तियां बुझा दी किसी ने तो क्या!!
सूरज ने किया तुमपर आवरण है।

 🌻🌻🌻

निश्चय ही-  वर्तमान का चढ़ाव 

भविष्य के ढलान का निर्धारण करता है 🌱 

कालक्रमेण जगत: परिवर्तमाना । चक्रारपंक्तिरिव गच्छति भाग्यपंक्तिः ।🌻🌻🌻🌻🌻
।। सधु।।

4 comments:

  1. बहुत बढिया रचना सधु जी | सकारात्मकता का शब्द चित्र रचती हुई |

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  2. यह रात और दिन के बीच का भंवर है
    यह अंधकार और प्रकाश के मध्य की लहर है
    छली कुक्कुटों के बाग पर न ध्यान को भटकाओ
    यह ध्यान,योग व ज्ञान का समय है
    यह परीक्षण का समय है, यह धैर्य का समय है।
    शठ रूपी अंधकार से मात्र स्वयं को सुरक्षित कर लो
    विद्वता रूपी प्रकाश तुम्हारे शरण में है।


    वाह!

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