मानव नव रसों की खान है। उसकी सोच से उत्पन्न उसकी प्रतिक्रिया ही यह निर्धारित करती है कि उसका व्यक्तित्व कैसा है ! निश्चय ही मेरी रचनाओं में आपको नवीन एवं पुरातन का समावेश मिलेगा साथ ही क्रान्तिकारी विचारधारा के छींटे भी । धन्यवाद !
।।सधु चन्द्र।।
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Sunday, 25 October 2020
हम तो कई बार जीत जाते,पर... उन्हें हराना ही न था।।
इस हार की जीत के आननाद की अनुभूति ही अलग होती है।
ReplyDeleteसुन्दर भावयुक्त पंक्तियाँ ....
हार्दिक आभार माननीय
Deleteक्या बात
ReplyDeleteआभार!
ReplyDeleteसादर