Saturday, 31 October 2020

नज़र का इलाज है नज़रिए का नहीं

इंसान अपने भीतर 
कितना भी बदलाव 
क्यों न लेकर आए 
लेकिन ...
वह दूसरे की सोच को 
नहीं बदल सकता 
उसके विचारों पर
खरा नहीं उतर सकता
दूसरे को संतुष्ट 
नहीं कर  सकता 
क्योंकि...
नज़र का इलाज है
नज़रिए का नहीं।।

---------------------------------------------
बचके रहना कि अब 
सुइयों की कद्र नहीं
तलवार की धार पे अब
रिश्ते सिले जाते हैं ।
 
।।सधु।। 

10 comments:

  1. बहुत खूब सधु जी,
    जो चीज जितनी बड़ी है उससे कई गुणा बड़े रूप में देखने की आदत पड़ चुकी हैं हमें.

    ReplyDelete
  2. बचके रहना कि अब
    सुइयों की कद्र नहीं
    तलवार की धार पे अब
    रिश्ते सिले जाते हैं ।
    उत्कृष्ट व्यंग्य

    ReplyDelete