मानव नव रसों की खान है। उसकी सोच से उत्पन्न उसकी प्रतिक्रिया ही यह निर्धारित करती है कि उसका व्यक्तित्व कैसा है ! निश्चय ही मेरी रचनाओं में आपको नवीन एवं पुरातन का समावेश मिलेगा साथ ही क्रान्तिकारी विचारधारा के छींटे भी । धन्यवाद !
।।सधु चन्द्र।।
जी नमस्ते , आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (३१-१०-२०२०) को 'शरद पूर्णिमा' (चर्चा अंक- ३८७१) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। -- अनीता सैनी
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteहार्दिक आभार महोदय
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (३१-१०-२०२०) को 'शरद पूर्णिमा' (चर्चा अंक- ३८७१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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अनीता सैनी
मेरी इस प्रविष्टि् को 'शरद पूर्णिमा' (चर्चा अंक- ३८७१) पर आमंत्रित करने हेतु हार्दिक आभार अनीता जी
ReplyDeleteसादर
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सार्थक कथन ।
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeleteहार्दिक आभार
बिखरे रिश्ते जोड़ दे
ReplyDeleteआओ जीवन को नया मोड़ दे
सुन्दर
धन्यवाद
Deleteहार्दिक आभार
वाह 👌 सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय।
ReplyDeleteसादर।