Monday, 23 November 2020

आपसे ज़्यादा ज़रूरी नहीं...

बड़ी व्यस्तता है जीवन में 
बे-मौक़ा कोई किसी से 
मिलता नहीं 
मिलती हैं तो बस...
ज़रूरतें !

यूँ बदलते हैं हक़दार 
मानो किराएदार 
घर बदल रहा हो।

शख़्स  होता है वही
बस! किरदार बदल जाते हैं ।।

यह जिंदगी की दौड़ 
ऐसी है कि ...
पलंग तोड़ते खु़द को 
समाधि लीन दिखा जाते हैं। 

परिचय - पहचान 
मन्नते पूरी होने का 
दूसरा नाम
और... 
मन्नतें पूरी होते ही ...
माता-पिता क्या !!!
भगवान बदल जाते हैं ।।

पर अच्छा लगता है कि...
व्यस्तता में 
व्यस्त होने पर भी 
कोई कहे कि...
आपसे ज़्यादा ज़रूरी नहीं।।

।।सधु।। 

12 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 23 नवंबर नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. शुक्रिया दी
      हार्दिक आभार
      सादर

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  2. पर अच्छा लगता है कि...
    व्यस्तता में
    व्यस्त होने पर भी
    कोई कहे कि
    आपसे ज़्यादा जरूरी नहीं।।
    ..।मन की बात कह दी अपने सधु जी..सुंदर अभिव्यक्ति..।

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    1. हार्दिक आभार स्नेह जिज्ञासा जी

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  3. हार्दिक आभार माननीय

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  4. पर अच्छा लगता है कि...
    व्यस्तता में
    व्यस्त होने पर भी
    कोई कहे कि
    आपसे ज़्यादा जरूरी नहीं।।
    काश, ऐसा कम से कम एक व्यक्ति हर किसी के जीवन मे हो।

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  5. पर अच्छा लगता है कि...
    व्यस्तता में
    व्यस्त होने पर भी
    कोई कहे कि
    आपसे ज़्यादा जरूरी नहीं

    –अनमोल

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  6. परिचय - पहचान
    मन्नते पूरी होने का
    दूसरा नाम
    और...
    मन्नतें पूरी होते ही ...
    माता-पिता क्या !!!
    भगवान बदल जाते हैं ।।

    सुन्दर।

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    1. हार्दिक आभार महोदय।

      सादर।

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