बे-मौक़ा कोई किसी से
मिलता नहीं
मिलती हैं तो बस...
ज़रूरतें !
यूँ बदलते हैं हक़दार
मानो किराएदार
घर बदल रहा हो।
शख़्स होता है वही
बस! किरदार बदल जाते हैं ।।
यह जिंदगी की दौड़
ऐसी है कि ...
पलंग तोड़ते खु़द को
समाधि लीन दिखा जाते हैं।
परिचय - पहचान
मन्नते पूरी होने का
दूसरा नाम
और...
मन्नतें पूरी होते ही ...
माता-पिता क्या !!!
भगवान बदल जाते हैं ।।
पर अच्छा लगता है कि...
व्यस्तता में
व्यस्त होने पर भी
कोई कहे कि...
आपसे ज़्यादा ज़रूरी नहीं।।
।।सधु।।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 23 नवंबर नवंबर नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteशुक्रिया दी
Deleteहार्दिक आभार
सादर
पर अच्छा लगता है कि...
ReplyDeleteव्यस्तता में
व्यस्त होने पर भी
कोई कहे कि
आपसे ज़्यादा जरूरी नहीं।।
..।मन की बात कह दी अपने सधु जी..सुंदर अभिव्यक्ति..।
हार्दिक आभार स्नेह जिज्ञासा जी
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय
ReplyDeleteपर अच्छा लगता है कि...
ReplyDeleteव्यस्तता में
व्यस्त होने पर भी
कोई कहे कि
आपसे ज़्यादा जरूरी नहीं।।
काश, ऐसा कम से कम एक व्यक्ति हर किसी के जीवन मे हो।
जी
Deleteआभार
सादर
पर अच्छा लगता है कि...
ReplyDeleteव्यस्तता में
व्यस्त होने पर भी
कोई कहे कि
आपसे ज़्यादा जरूरी नहीं
–अनमोल
सादर नमन दी
Deleteपरिचय - पहचान
ReplyDeleteमन्नते पूरी होने का
दूसरा नाम
और...
मन्नतें पूरी होते ही ...
माता-पिता क्या !!!
भगवान बदल जाते हैं ।।
सुन्दर।
हार्दिक आभार महोदय।
Deleteसादर।