Friday 11 December 2020

लफ्ज़-ए-करम

लफ्ज़ !
कहे जाते हैं ।
लफ्ज़ !
सुने जाते हैं ।

कुछ लफ्ज़
कहे नहीं 
समझे जाते हैं 
महसूस किए जाते हैं। 

कुछ लफ्ज़
एहसास  के अनुरूप 
ढाले जाते हैं ।

पहल के लिए 
ज़रूरत होती
लफ्ज़-ए-करम  की। 

पर...
 उनके लफ्ज़-ए-करम तो देखिए...
मैंने कुछ कहा भी नहीं
और... 
उन्होंने तो 
पहल भी कर दिया!

।।सधु चन्द्र।। 

16 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 11 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" साझा करने हेतु हार्दिक आभार दी।
      सादर।

      Delete
  2. पर...
    उनके लफ्ज़-ए-करम तो देखिए...
    मैंने कुछ कहा भी नहीं
    और...
    उन्होंने तो
    पहल भी कर दिया!
    ..बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..।

    ReplyDelete
  3. आह अद्भुत रच दिया आपने ❤️

    ReplyDelete
  4. हार्दिक आभार माननीय।
    सादर।

    ReplyDelete
  5. Replies
    1. हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

      Delete