एक ही काम
अगर ...
दूसरे के बच्चे ने की तो गलती
और...
अपने बच्चे ने की तो नासमझी
कहलाती है।
एक ही प्रतिपक्षता ...
अपनों ने किया तो विरोध
दूसरों ने किया तो
धृष्टता कहलाती है।
एक ही धूल-मिट्टी
अगर ...
किसान के हाथों लगे तो माटी
और...
शहरी परंपरा में
धूल गंदगी कहलाती है।
परिवर्तन...
सोच में होनी चाहिए
दिल में होनी चाहिए
दिमाग में होनी चाहिए।
शब्द के भाव में परिवर्तन
इंसान को पक्षपाती बना देता है ।।
।।सधु चन्द्र।।
सार्थक रचना।
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteसादर।
परिवर्तन...
ReplyDeleteसोच में होनी चाहिए...
सही कहा आपने। शुभ प्रभात व शुभकामनाएँ आदरणीया।
हार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 08 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteमेरी रचना को पांच लिंक का आनन्द पर साझा करने हेतु हार्दिक आभार दी।
Deleteसादर।
वाह!सधु जी ,बहुत खूब!
ReplyDeleteहार्दिक आभार शुभा जी।
Deleteसादर।
दूसरों के मामले में जज अपने मामले में वकील का दस्तूर पुराना है
ReplyDeleteसुन्दर लेखन
हार्दिक आभार दी।
Deleteसादर।
सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
परिवर्तन...
ReplyDeleteसोच में होनी चाहिए
दिल में होनी चाहिए
दिमाग में होनी चाहिए।
शब्द के भाव में परिवर्तन
इंसान को पक्षपाती बना देता है ।।
सुंदर तार्किक रचना 🌹🙏🌹
हार्दिक आभार महोदया।
ReplyDeleteसादर।
परिवर्तन...
ReplyDeleteसोच में होनी चाहिए...
हार्दिक आभार माननीय।
ReplyDeleteसादर।