Saturday, 9 January 2021

उन्मुक्त मन का आयतन...

उन्मुक्त मन का आयतन
उस निर्धारित परिमाप से
कहीं विस्तृत ....
जिसे नियति ने नियत किया
पर  हर  दिन उस स्वप्निल
उड़ान को जी लेती...
जिसे तुम्हें ले देखा है...।

बस 'तुम' और 'मैं' का साथ
'हम' को प्रबल बनाता है
हर जंग में जीत का
परचम फैलाता है।

निश्चय ही ...

इस विस्तृत आकाश में
बाहें फैलाए
एक- एक सोपान पर
पदार्पण कर लेंगे।
निरंतर अभ्यासरत... 
बस...एक अवसर मिले!

जड़ें मजबूत करते
गगन भी पार कर लेंगे।
अक्षर की कटारों में
समय से धार कर लेंगें।
बस...एक अवसर मिले!

छांव से नाम लिख देंगे
धूप के इज़हार में अपना
अगर होगी ज़रूरत आग
को आधार कर लेंगे।।

क्योंकि
उन्मुक्त मन का आयतन
उस निर्धारित परिमाप से
कहीं विस्तृत ....है। 

।।सधु चन्द्र।। 

29 comments:

  1. निश्चय ही ...

    विस्तृत आकाश में
    बाहें फैलाए
    एक- एक सोपान पर
    पदार्पण कर लेंगे।
    निरंतर अभ्यासरत...
    बस...एक अवसर मिले!
    बहुत बहुत सुन्दर

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    1. सादर नमन।
      हृदयतल से आभार।
      सादर।

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  2. बस 'तुम' और 'मैं' का साथ
    'हम' को प्रबल बनाता है
    हर जंग में जीत का
    परचम फैलाता है...,
    सत्य कथन..बहुत सुन्दर सराहनीय सृजन सधु चन्द्र जी ।

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    1. हृदयतल से आभार।
      सादर।

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  3. प्रेरक प्रस्तुति। सार्थक रचना। बहुत बढ़िया सृजन के लिए आपको बधाई।शुभकामनाएं।

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    1. हृदयतल से आभार।
      सादर।

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  4. बस 'तुम' और 'मैं' का साथ
    'हम' को प्रबल बनाता है
    हर जंग में जीत का
    परचम फैलाता है।

    यथार्थ ! श्रेष्ठ सृजन 🌹🙏🌹

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    1. हृदयतल से आभार।
      सादर।

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  5. जड़ें मजबूत करते
    गगन भी पार कर लेंगे।
    अक्षर की कटारों में
    समय से धार कर लेंगें।
    बस...एक अवसर मिले..सुन्दर सारगर्भित, संदेशपरक रचना..

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    1. हृदयतल से आभार।
      सादर।

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  6. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 10 जनवरी 2021 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. मेरी लिखी रचना को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन" जैसे उकृष्ट मंच पर साझा करने हेतु हार्दिक आभार दिव्या जी।
      सादर।

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  7. बहुत सुंदर रचना ।

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    1. हृदयतल से आभार।
      सादर।

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  8. Replies
    1. हृदयतल से आभार।
      सादर।

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  9. Replies
    1. हृदयतल से आभार।
      सादर।

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  10. बहुत सुंदर।❤️❤️

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    1. शुक्रिया प्यारी अंशु😍

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  11. Replies
    1. हृदयतल से आभार।
      सादर।

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  12. बहुत सुन्दर।
    विश्व हिन्दी दिवस की बधाई हो।

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  13. बस 'तुम' और 'मैं' का साथ
    'हम' को प्रबल बनाता है
    हर जंग में जीत का
    परचम फैलाता है।
    बेहतरीन रचना आदरणीया

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  14. Replies
    1. हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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