Tuesday, 9 February 2021

धैर्य,क्षमा हो कब तक!!!

धैर्य,क्षमा हो कब तक!!!
अनजाने में हो गलती जब तक ।
किंतु धृष्टता ना हो स्वीकार,
जब जानकर करे कोई 
गलती बार-बार।।

भले... गहना बल का है क्षमा
किन्तु
नहीं हर बार।
अन्त होना अनिवार्य तब
जब शिशुपाल करे
गलती हर बार।


।।सधु चन्द्र।। 

25 comments:

  1. बिलकुल सच कहा सधु जी आपने । हम सभी ग़लतियों के पुतले हैं मगर अपनी ग़लतियों को क़ुबूल करना हमें आना चाहिए । ऐसा न करके ग़लतियों को दोहराते जाने पर हम माफ़ी के नहीं, सज़ा के मुश्तहक़ होंगे । और जान-बूझकर की गई ग़लती गुनाह ही होती है जिसकी कभी-न-कभी सज़ा ज़रूर मिलती है । सार्थक अभिव्यक्ति के लिए अभिनंदन आपका ।

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  2. आपसे सहमत! सुंदर और सार्थक रचना के लिए आपको शुभकामनाएँ!

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज बुधवार 10 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. बिल्कुल सच कहा आपने।

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  5. भले... गहना बल का है क्षमा
    किन्तु
    नहीं हर बार।..
    अच्छी सीख..

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  6. मर्यादाओं का अतिक्रमण असहनीय है | स्वाभिमान पर कुठाराघात कब तक ?

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  7. गहना बल का है क्षमा
    किन्तु
    नहीं हर बार।
    अन्त होना अनिवार्य तब
    जब शिशुपाल करे
    अति... जब-तब।..बहुत सही प्रसंग सन्दर्भित किया है आपने सधु जी..

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  8. बहुत सार्थक संदेश |

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  9. बहुत सार्थक सटीक रचना

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  10. बहुत अच्छे जोड़ा है अंत को ...
    हा न की अति तो आती है ...

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    1. हार्दिक आभार माननीय। सादर।

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  11. वाह!क्या बात ।
    सहमत।

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