Friday, 6 November 2020

हाथों की लकीरों के पहले अंगुलियों का होना...

हाथों की लकीरों के पहले 
अंगुलियों का होना
यह प्रमाणित करता है कि
कुछ पाने के पहले कुछ करना होता है।

यह किस्मत साथ तभी देती है 
जब हम अभ्यास करते हैं 
और यह अभ्यास तभी रंग लाता है
 जब किस्मत साथ हो।

दोनों एक दूसरे के पूरक हैं 
अन्योन्याश्रय का संबंध से जुड़े हैं।

पर कब जाने 
किसका पलड़ा भारी हो जाए!!
इसलिए इस संबंध को  
पकड़े रहो ,जकड़े रहो 
टूटने ना दो

प्रातर्वन्दन🙏🙏🙏

14 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 06 नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. मेरी रचना को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन" में प्रकाशित करने हेतु हार्दिक आभार
      धन्यवाद ।

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०७-११-२०२०) को 'मन की वीथियां' (चर्चा अंक- ३८७८) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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    1. मेरी इस प्रविष्टि को "मन की विथियाँ" पर आमंत्रित करने हेतु आभार ।
      सादर

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  3. सुन्दर प्रस्तुति

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  4. हाथों की लकीरों के पहले
    अंगुलियों का होना
    यह प्रमाणित करता है कि
    कुछ पाने के पहले कुछ करना होता है।

    –वाहः सत्य भावाभिव्यक्ति
    किस्मत में क्या है हम पहले से नहीं जानते... हम केवल अपने कर्म पर किये श्रम से किस्मत तय कर लेते है सिवाय जन्म-मृत्यु के वह तो नियति के कर्म पर निर्भर है..

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    1. इस उत्कृष्ट विश्लेषण हेतु हार्दिक आभार दी।

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  5. कर्म व नियति का गहरा संबंध है। सुंदर अभिव्यक्ति जी। शुभम

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    1. विश्लेषण हेतु हार्दिक आभार माननीय
      सादर

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  6. यह किस्मत साथ तभी देती है
    जब हम अभ्यास करते हैं
    और यह अभ्यास तभी रंग लाता है
    जब किस्मत साथ हो।
    सत्य वचन

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