Thursday, 5 November 2020

मक्खी और विश्लेषक

मक्खी पूरे  खूबसूरत शरीर को छोड़ 
केवल घाव पर ही बैठती है
ठीक उसी प्रकार
कुछ विश्लेषक ऐसे भी होते हैं...
जो विश्लेषण-वस्तु में उत्कृष्टता छोड़ 
 केवल उसके अवगुण का ही
आकलन करते हैं ।
ये छिद्रान्वेषी 
चुन-चुन कर 
आपकी  कमियाँ निकालते हुए
कबीर के दोहे को चरितार्थ करते हैं-
निंदक नेड़ा रखिए... 

भविष्य में 
यही आपके मार्गदर्शन बनते हैं 
और मंजिल प्राप्त होने पर 
कभी न कभी
कहीं ना कहीं ज़रूर याद आते हैं
इन विश्लेषकों को मेरा सादर नमन है 
जो हमारे इर्द-गिर्द 
आसपास चारों ओर उपस्थित होकर 
उचित राह दिखाते हैं।
           
 ।।सधु।।

चित्र -साभार गूगल 

12 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०७-११-२०२०) को 'मन की वीथियां' (चर्चा अंक- ३८७८) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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    1. मेरी इस प्रविष्टि को "मन की विथियाँ" पर आमंत्रित करने हेतु आभार ।
      सादर

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  2. बहुत सुंदर जी....सत्य है जीवन मे निंदक अहम भूमिका रखते है।

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  3. सुंदर प्रस्तुति

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  4. शानदार कविता
    आजकल इनकी तादात बढ़ गई है।

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