इसका महत्वपूर्ण अंग - वक्त ।
यह वक्त इतना कठिन नहीं कि
जटिलताओं को सरलता में
न बदला जा सके।
वक्त तो होता ही है
बदलने के लिए
पर इसी वक्त में लोगों को
परखना भी पड़ता है ।
ये वक्त ही है जो
फैसले और फ़ासले
लेकर आता है ।
काँच के टुकड़े और हीरे में
फ़र्क बतलाता है।
ये ऐसे हैं हर्फ़
जिसमें बस,
मात्रा का ही है फ़र्क
बाकी इनके जड़
गहरे रूप से जुड़े हैं
जब भी लोग
अपनी बात लेकर
अड़े हैं।
हांँ! पर,
कुछ रिश्ते संजोने के लिए
झुकना पड़ता है ।
कुछ रिश्ते संजोने के लिए
खुद को दुख देना भी पड़ता है ।
कुछ रिश्ते सजोने के लिए
बंधना पड़ता है
बंधन में ।
क्योंकि...
यह बंधन ही है जो
मज़बूती से बांधे रखती है
विपरीत समय में लोगों को।
यह बंधन ही है जो
जो दूर रखती है
आस-पास कचरे से अपनों को ।
क्योंकि ...
झाड़ू के बंधन खुलने के साथ ही
वह कूड़ा कहलाता है
और ढेर कर दिया जाता है
किसी कूड़े के अंबार पर।
।।सधु।।
चित्र -साभार गूगल
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