Sunday, 16 January 2022

#शब्द

शब्द
बयार से भी हल्का
फूलों की पखुड़ियों...
से भी कोमल
धरती सा धारक
आकाश सा विस्तृत
प्रेम सा मधुर
अमृत सा ग्राह्य
शूल से भी तीक्ष्ण
ये शब्द अधर पे
मनोभावानुरूप चलते हैं।।
       ||सधु चन्द्र।।

1 comment:

  1. सही कहा आपने। शब्द और मनोभाव एक दूसरे के पूरक हैं।

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