Thursday, 10 February 2022

हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी

हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी

हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी
फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी

सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ
अपनी ही लाश का खुद मज़ार आदमी

हर तरफ भागते दौड़ते रास्ते
हर तरफ आदमी का शिकार आदमी

रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ
हर नए दिन नया इंतज़ार आदमी

ज़िंदगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र
आखिरी साँस तक बेक़रार आदमी

-निदा फ़ाज़ली

5 comments:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद सधु जी, निदा फ़ाज़ली जी की इतनी बढ़िया ग़ज़ल पढ़वाने के लिए 🙏🌷🌷

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  2. हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी
    फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी
    सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ
    👌👌🙏🙏
    अपनी ही लाश का खुद मज़ार आदमी

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