बांधे धरा है मेरे बक्से में
तेरी चादर मेरी चुनर तले
पान-कसैली-सिक्के सहित
अभी भी सुरक्षित है वैसे हीं
जो याद दिलाती है
मिलन के मधुर पलों को।।
कभी स्वतंत्र न कर पायी तुझे
अपने चुनर की उस गाँठ से
अभी भी स्मृतियाँ
ताजी हैं
जीवित हैं
मेरे श्वास में....।
क्योंकि... कई भाषाओं
परिभाषाओं से इतर है
हमारी सूक्ति...
तुम मेरे जीवन हो
मैं तुम्हारी शक्ति
तुम आधिपत्य
मैं तुम्हारी भक्ति।।
हार जीत के खेल से
कहीं ऊपर है हम
जीतो तुम जग ~~~
मैंने तुम्हे ही जीत लिया
हार जीत से ऊपर
मैंने तुम्हारा प्रीत लिया।।
हैप्पी वैलेनटाइन्स डे डियर
||सधु चन्द्र।|
सुंदर रचना।
ReplyDeleteये प्यार पवित्र व अटूट बना रहे।
नई रचना CYCLAMEN COUM : ख़ूबसूरती की बला
आभार
Deleteसादर।
मैंने तुम्हे ही जीत लिया
ReplyDeleteहार जीत से ऊपर !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
आभार
Deleteसादर।
प्रणय के सुंदर रूप को दर्शाती अनुपम रचना
ReplyDeleteआभार
Deleteसादर।
हार जीत के खेल से
ReplyDeleteकहीं ऊपर है हम
जीतो तुम जग ~~~
मैंने तुम्हे ही जीत लिया
हार जीत से ऊपर
मैंने तुम्हारा प्रीत लिया।।
वाह कितनी भी खूबसूरत भाव!
प्रेम रस से सराबोर और बहुत ही खूबसूरत रचना आदरणीय मैम
आभार
Deleteसादर।
बहुत ही सुंदर प्रीत में पगी अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसादर
आभार
Deleteसादर।
बहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteआभार
Deleteसादर।
उम्दा सृजन
ReplyDeleteआभार
Deleteसादर।
मेरी रचना को सम्मान देने हेतु हार्दिक आभार कामिनी जी।
ReplyDeleteसादर।