Wednesday 23 December 2020

बस विमर्शों में आग🔥 लगकर क्या होगा ?

मैं न ही कोई पत्रकार 
न ही मिडिया से है साठ-गांठ 
आवाम की दबी-कुचली आवाज़
मैं आपको  सौपती हूँ।

क्योंकि...

मैं आग बेचती हूँ
न कि राख बेचती हूँ।

यदि राख भी बेचा 
तो समझना कि आग है बेचा
बूझे आग में सुलगा हुआ
राख बेचती हूँ ।
हाँ ! मैं आग बेचती हूँ

आवाम की दबी-कुचली आवाज़
मैं आपको  सौपती हूँ।

जहाँ आग 🔥 तो लगी है 
पर राख न दिखा 
जो कुछ स्वाहा हुआ 
उसपर अख़बार ख़ूब बिका।

पर जो... 
अधजला कचरे का अंबार 
अब भी था... कोने में 
उसे उठाने वाला 
सिलसिलेवार ना दिखा।
 
फ़ायर ब्रिगेड वाले भी आए थे 
तप्त-अग्नि को शांत करने 
पर... राख के भीतर का उन्हें, 
अनबुझा,उद्दीप्त
आग न दिखा ।

पसरा सन्नाटा 
यहाँ भी लोलुपों के नाम चढ़ा 
सत्ताधारियों एवं 
समाज सुधारकों का चिट्ठा 
यहाँ ख़ूब बिका।

मुँह दबाकर रो रही थी
अधजली वस्तुएँ
उन्हें सुनने वाला 
कोई विश्वविधाता न दिखा। 

सुना है!
आजकल 
ख़ूब आग लगती है 
विमर्शों  में।
हाँ विमर्शों में ...

पर, बस विमर्शों में 
आग🔥 लगकर क्या होगा ?
आग तो लगनी चाहिए 
सबके सीने में 

महज़ ...
सीने की आग ही
एक ढर्राए पिरामिड को 
भस्म कर
फिर से खड़ा कर सकती है
एक सपनों का महल ।।

क्योंकि... कागजी दस्तावेज एवं वास्तविक इमारत में 
सपने और हक़ीक़त सा ही फ़र्क है।

।।सधु।। 

21 comments:

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    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार माननीय।
      सादर नमन।

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  2. यदि राख भी बेचा
    तो समझना कि आग है बेचा
    बूझे आग में सुलगा हुआ
    राख बेचती हूँ ।
    हाँ ! मैं आग बेचती हूँ। प्रभावशाली लेखन - - गहनता लिए हुए - - साधुवाद।

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    1. विश्लेषण एवं उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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  3. वाह क्या बात है। बहुत खूब। बहुत सही। शुभकामनाएं।

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    1. विश्लेषण एवं उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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  4. वाह! बहुत सुंदर रचना!

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    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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  5. जहाँ आग 🔥 तो लगी है
    पर राख न दिखा
    जो कुछ स्वाहा हुआ
    उसपर अख़बार ख़ूब बिका।
    वाह!!!
    क्या बात.....
    बहुत ही सुन्दर सार्थक। सृजन।

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    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार सुधा जी।
      सादर।

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  6. पर जो...
    अधजला कचरे का अंबार
    अब भी था... कोने में
    उसे उठाने वाला
    सिलसिलेवार ना दिखा।..सशक्त एवं अर्थपूर्ण रचना...

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  7. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार जिज्ञासा जी।
    सादर।

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  8. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 25 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. मेरी रचना को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन" रूपी मंच प्रदान करने हेतु हार्दिक आभार दिव्या जी।सादर।

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  9. महज़ ...
    सीने की आग ही
    एक ढर्राए पिरामिड को
    भस्म कर
    फिर से खड़ा कर सकती है
    एक सपनों का महल ।।

    क्योंकि... कागजी दस्तावेज एवं वास्तविक इमारत में
    सपने और हक़ीक़त सा ही फ़र्क है।

    सच्चाई बयां करती रोमांचित कर देने वाली रचना...
    हृदयस्पर्शी ....

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    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार शरद जी।
      सादर।

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  10. Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार।
      सादर।

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  11. पर, बस विमर्शों में
    आग🔥 लगकर क्या होगा ?
    आग तो लगनी चाहिए
    सबके सीने में


    सशक्त रचना।
    बधाई एवं शुभकामनाएं।

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    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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