प्रेम-पत्र लिखे जाते थे ।
संकोचवश
मन की बात जो
अधरों तक ना आ पाती
उसे शब्दों में पिरोए जाते थे।
सुख-दुख आनन्द-पीड़ा
शब्दों में उकेरे जाते थे ।
यह प्रेम-पत्र ही था
जिसे वापस मांगते समय
प्रेमिका
फूट-फूट कर रोया करती थी ।
और...
यह प्रेम-पत्र ही था जिसे
गंगा में प्रवाहित कर
प्रेमी
आश्वस्त करता
अपने पावन प्रेम को।
आज की भांति उस समय भी
हर विषय के गुरु हुआ करते थे ।
यद्यपि पत्र का प्रारूप होता है ।
इसे अक्षरस: सत्य करता
इसका स्वरूप होता है ।
इसलिए...
एक स्कूल,एक कोचिंग ,एक कॉलेज के
सारे प्रेम-पत्र लगभग
एक ही प्रारूप में
एक ही गुरु के मार्गदर्शन में
लिखे जाते।
कभी कविता
कभी लेख
कभी आवेदन को
जज्बातों की ओखली में कूट कर
रंगीन स्याही से लबालब रसोई में परोसे जाते।
सिलेक्शन रिजेक्शन के
कई चरण
इस दरमियां आते।
यह प्रेम पत्र ही था जो
असफल प्रेमी को
सफल शायर बना दिया करता था
वरना...
प्रेम की इतनी मजाल कि ...
टूटे दिल का मुशायरा कर ले।।
।।सधु चन्द्र।।
चित्र -साभार गूगल
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 01 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteमेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु हार्दिक आभार दिव्या जी ।
Deleteसादर।
बहुत सुंदर सधु जी । प्रेम-पत्रों की बात ही कुछ और हुआ करती थी । सच्ची भावनाएं मुखरित हुआ करती थीं उनमें । और यह भी सच ही कहा आपने कि वे असफल प्रेमियों को शायर बना दिया करते थे ।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार माननीय ।
Deleteसादर।
अब वो दौर नहीं रहा।
ReplyDeleteआभार।
Deleteसादर।
देखते-देखते कितना कुछ बदल गया है.....बदलता जा रहा है
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय ।
Deleteसादर।
लाज़वाब और ज़बरदस्त प्रस्तुति। ग़जब की रचनात्मकता और शब्द चयन। इस रचना के भावों और इशारों से पूरी तरह सहमत हूं। आपको ढेरों शुभकामनाएँ। सादर बधाई।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार माननीय ।
Deleteसादर।
सटीक।
ReplyDeleteआजकल तो पत्र लिखना ही बन्द हो गया है।
हार्दिक आभार माननीय ।
Deleteसादर।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुंदर..
ReplyDeleteपढ़कर अच्छा लगा..अप्रतिम
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार ।
Deleteसादर।
वाह बेहतरीन रचना 👌👌
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार अनुराधा दी ।
Deleteसादर।
ख़त लिखने के सौ सौ बहाने हुआ करते थे और वो पुराना ख़त कहीं आज दबा हुआ मिल जाय तो पढ़ने का जो आनंद है उसकी बात ही मत पूछिये सधु जी..बहुत सुन्दर सृजन..
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार जिज्ञासा जी ।
Deleteसादर।
सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार माननीय ।
Deleteसादर।
यह प्रेम पत्र ही था जो
ReplyDeleteअसफल प्रेमी को
सफल शायर बना दिया करता था
वरना...
प्रेम की इतनी मजाल कि ...
टूटे दिल का मुशायरा कर ले।।
बहुत खूब सधु जी!!
जब खत में चेहरा दिखता था वो जमाने बीत गए
एक भावपूर्ण सृजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं आपको!!
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार रेणु जी ।
Deleteसादर।
यह प्रेम पत्र ही था जो
ReplyDeleteअसफल प्रेमी को
सफल शायर बना दिया करता था
वरना...
प्रेम की इतनी मजाल कि ...
टूटे दिल का मुशायरा कर ले।।
बेमिसाल...
बेबाक क़लम का अनमोल उपहार... वाह
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार वर्षा जी ।
Deleteसादर।
अति सुन्दर कथ्य एवं सृजन ।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार अमृता जी ।
Deleteसादर।
बहुत ही सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार माननीय ।
Deleteसादर।
यह प्रेम पत्र ही था जो
ReplyDeleteअसफल प्रेमी को
सफल शायर बना दिया करता था
वरना...
प्रेम की इतनी मजाल कि ...
टूटे दिल का मुशायरा कर ले।।..बहुत ही सुंदर सृजन।
सादर
उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार अनीता जी ।
Deleteसादर।
बहुत ही सुंदर सृजन।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार माननीय ।
Deleteसादर।
मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु हार्दिक आभार कामिनी जी ।
ReplyDeleteसादर।
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
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