Sunday, 31 January 2021

एक वक़्त था कि प्रेम-पत्र लिखे जाते थे ...

एक वक़्त था कि 
प्रेम-पत्र लिखे जाते थे ।
संकोचवश
मन की बात जो
अधरों तक ना आ पाती 
उसे शब्दों में पिरोए जाते थे।

सुख-दुख आनन्द-पीड़ा 
शब्दों में उकेरे जाते थे ।

यह प्रेम-पत्र ही था 
जिसे वापस मांगते समय 
प्रेमिका 
फूट-फूट कर रोया करती थी ।
और...
यह प्रेम-पत्र ही था जिसे 
गंगा में प्रवाहित कर 
प्रेमी 
आश्वस्त करता 
अपने पावन प्रेम को।


आज की भांति उस समय भी 
हर विषय के गुरु हुआ करते थे ।
यद्यपि पत्र का प्रारूप होता है ।

इसे अक्षरस: सत्य करता 
इसका स्वरूप होता है ।
इसलिए...
एक स्कूल,एक कोचिंग ,एक कॉलेज के
सारे प्रेम-पत्र लगभग 
एक ही प्रारूप में 
एक ही गुरु के मार्गदर्शन में 
लिखे जाते।
कभी कविता 
कभी लेख 
कभी आवेदन को 
जज्बातों की ओखली में कूट कर 
रंगीन स्याही से लबालब रसोई में परोसे जाते।

सिलेक्शन रिजेक्शन के 
कई चरण 
इस दरमियां आते।

यह प्रेम पत्र ही था जो 
असफल प्रेमी को 
सफल शायर बना दिया करता था 
वरना... 
प्रेम की इतनी मजाल कि ...
टूटे दिल का मुशायरा कर ले।।

।।सधु चन्द्र।। 

चित्र -साभार गूगल 

37 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज सोमवार 01 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु हार्दिक आभार दिव्या जी ।
      सादर।

      Delete
  2. बहुत सुंदर सधु जी । प्रेम-पत्रों की बात ही कुछ और हुआ करती थी । सच्ची भावनाएं मुखरित हुआ करती थीं उनमें । और यह भी सच ही कहा आपने कि वे असफल प्रेमियों को शायर बना दिया करते थे ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

      Delete
  3. अब वो दौर नहीं रहा।

    ReplyDelete
  4. देखते-देखते कितना कुछ बदल गया है.....बदलता जा रहा है

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

      Delete
  5. लाज़वाब और ज़बरदस्त प्रस्तुति। ग़जब की रचनात्मकता और शब्द चयन। इस रचना के भावों और इशारों से पूरी तरह सहमत हूं। आपको ढेरों शुभकामनाएँ। सादर बधाई।

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

      Delete
  6. सटीक।
    आजकल तो पत्र लिखना ही बन्द हो गया है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

      Delete
  7. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  8. बहुत सुंदर..
    पढ़कर अच्छा लगा..अप्रतिम

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार ।
      सादर।

      Delete
  9. वाह बेहतरीन रचना 👌👌

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार अनुराधा दी ।
      सादर।

      Delete
  10. ख़त लिखने के सौ सौ बहाने हुआ करते थे और वो पुराना ख़त कहीं आज दबा हुआ मिल जाय तो पढ़ने का जो आनंद है उसकी बात ही मत पूछिये सधु जी..बहुत सुन्दर सृजन..

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार जिज्ञासा जी ।
      सादर।

      Delete
  11. Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

      Delete
  12. यह प्रेम पत्र ही था जो
    असफल प्रेमी को
    सफल शायर बना दिया करता था
    वरना...
    प्रेम की इतनी मजाल कि ...
    टूटे दिल का मुशायरा कर ले।।
    बहुत खूब सधु जी!!
    जब खत में चेहरा दिखता था वो जमाने बीत गए
    एक भावपूर्ण सृजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं आपको!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार रेणु जी ।
      सादर।

      Delete
  13. यह प्रेम पत्र ही था जो
    असफल प्रेमी को
    सफल शायर बना दिया करता था
    वरना...
    प्रेम की इतनी मजाल कि ...
    टूटे दिल का मुशायरा कर ले।।

    बेमिसाल...
    बेबाक क़लम का अनमोल उपहार... वाह

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार वर्षा जी ।
      सादर।

      Delete
  14. अति सुन्दर कथ्य एवं सृजन ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार अमृता जी ।
      सादर।

      Delete
  15. Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

      Delete
  16. यह प्रेम पत्र ही था जो
    असफल प्रेमी को
    सफल शायर बना दिया करता था
    वरना...
    प्रेम की इतनी मजाल कि ...
    टूटे दिल का मुशायरा कर ले।।..बहुत ही सुंदर सृजन।
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार अनीता जी ।
      सादर।

      Delete
  17. बहुत ही सुंदर सृजन।

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

      Delete
  18. मेरी रचना को मंच प्रदान करने हेतु हार्दिक आभार कामिनी जी ।
    सादर।

    ReplyDelete
  19. बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना

    ReplyDelete
  20. सुन्दर प्रस्तुति।

    ReplyDelete

राम एक नाम नहीं

राम एक नाम नहीं  जीवन का सोपान हैं।  दीपावली के टिमटिमाते तारे  वाल्मिकी-तुलसी के वरदान हैं। राम है शीतल धारा गंगा की  पवित्र पर...