Friday, 29 January 2021

दूसरी पारी अब भी है शेष ...

अमावस्या की रात 
जो चल रही है ...
ना मशाल लेकर 
राह दिखाएगा कोई ।

एक ज्योतिपुंज जो 
जल रही है भीतर तेरे 
मझधार में बन पतवार
पार लगाएगी वही ।

तू चल ...
ना रूक...
बेड़ियों,जंजीरों को तोड़ 
भारी पैर से अटल हो 
मंजिल को अपनी ओर मोड़ ।

तू शूल में भी फूल खिलाने में सक्षम
प्रतिकूल को भी अनुकूल बनाने में सक्षम

क्या हुआ !!!
जो पहली पारी रुक गई ...
दूसरी पारी अब भी है शेष ।
जो होगा तेरे लिए विशेष।।


।।सधु चन्द्र ।।

चित्र - साभार गूगल 

28 comments:

  1. क्या हुआ !!!
    जो पहली पारी रुक गई ...
    दूसरी पारी अब भी है शेष ।
    जो होगा तेरे लिए विशेष।। बहुत सुंदर!

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    1. हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (31-01-2021) को   "कंकड़ देते कष्ट"    (चर्चा अंक- 3963)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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    1. हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज शनिवार 30 जनवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक आभार दी।
      सादर।

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  4. सुंदर सृजन, सार्थक प्रस्तुति। बढ़िया प्रेरणास्पद रचना के लिए आपको शुभकामनाएँ।

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    1. हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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  5. किसी भी क्लांत एवं नैराश्य में डूबे मन के लिए आपकी ये पंक्तियां ऐसी ही हैं सधु जी जैसे मरूस्थल में चल रहे यात्री के लिए वर्षा की बूंदें ।

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    1. हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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  6. Replies
    1. हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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  7. Replies
    1. हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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    1. हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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  9. क्या हुआ !!!
    जो पहली पारी रुक गई ...
    दूसरी पारी अब भी है शेष ।
    जो होगा तेरे लिए विशेष।।
    आशा का संचार करती सुंदर रचना।

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  10. शिथिल पाँवो़ में प्राण भरती
    प्रेरणा देती भावपूर्ण रचना प्रिय सधु जी।

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    1. हार्दिक आभार प्यारी श्वेता जी ।
      सादर।

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  11. सार्थक सृजन आ0

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  12. सुन्दर प्रस्तुति

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    1. हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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  13. बेहतरीन रचना

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    1. हार्दिक आभार अभिलाषा जी।
      सादर।

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  14. कुछ भी हो इंसान को अपना आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए ! सुंदर रचना

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    1. हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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