Monday, 25 January 2021

जागो!हे ! हिंद वासियों,पावन इस गणतंत्र पर्व पर।

जागो!
हे ! हिंद वासियों,
पावन इस गणतंत्र पर्व पर।

कुछ लोग 
चंद सिक्के फ़ेककर 
फ़ुसला रहे हैं ।
अवनी की रत्न-राशि लूटते 
पृष्ठ को पुष्ट करते 
प्रजातंत्र में राजतंत्र का 
भोग लगा रहे हैं।

जागो!
हे ! हिंद वासियों,
पावन इस गणतंत्र पर्व पर।

समता को मिटा 
विषमता को फैला रहे 
ये वही है जो...
मौलिक अधिकारों का गला घोटते
निरंतर घोटाले किए जा रहे।

पर कौन...!?
स्वयं सोचे और विचारें ।।
कि आख़िर कौन  है जो...
समाधान और व्यवधान के 
बीच के अंतर को मिटा रहे हैं 
पुण्य भूमि को युद्धभूमि
बना रहे हैं...। 

जागो!
हे ! हिंद वासियों,
पावन इस गणतंत्र पर्व पर।

क्योंकि 
जागरण ही एक निदान है 
तभी होता कर्तव्यों का ज्ञान है। 

अभिमान  हो  देश का केवल 
अधिकारों का ऐसा भान लिए ।

सबका सबसे रहे अनुराग 
भ्रष्टाचार जाए भाग 
शिक्षा,ज्ञान साथ में दान 
जीवट मन आभार लिए ।

जागो!
हे ! हिंद वासियों,
पावन इस गणतंत्र पर्व पर।

।।सधु चन्द्र।। 

चित्र - साभार गूगल 

27 comments:

  1. सार्थक गीत।
    --
    गणतन्त्र दिवस की पूर्वसंध्या पर हार्दिक शुभकामनाएँ।

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    1. हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26-1-21) को "यह गणतंत्र दिवस हमारे कर्तव्यों के नाम"(चर्चा अंक-3958) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    कामिनी सिन्हा

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    1. मेरी रचना को उत्कृष्ट मंच प्रदान करने हेतु हार्दिक आभार। कामिनी जी।
      सादर।

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  3. सुन्दर तथा देशभक्ति का भाव लिए सारगर्भित सरस गीत..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..

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    1. हार्दिक आभार जिज्ञासा जी ।
      सादर।

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  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज मंगलवार 26 जनवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. मेरी रचना को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन" मंच प्रदान करने हेतु हार्दिक आभार दिव्या जी।सादर।

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  5. बहुत बढ़िया।
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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    1. हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

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  6. बहुत सुन्दर।
    72वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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    1. हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

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  7. बहुत अच्छी रचना
    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएंं 🙏

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    1. हार्दिक आभार वर्षा जी।
      सादर।

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  8. बहुत सुन्दर सृजन। गणतंत्र दिवस की असंख्य शुभकामनाएं।

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    1. हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

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  9. आपने सही लिखा है, समाधान और व्यवधान का भेद मिटा रहे। अटकाने और भटकाने पर लगे लोगों का तांडव आज दिख गया। सही आकलन!--ब्रजेंद्रनाथ

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    1. हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

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  10. सुंदर ! सार्थक ! समयोचित ! अभिनंदन सधु जी ।

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    1. हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

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  11. समाधान और व्यवधान के
    बीच के अंतर को मिटा रहे हैं
    पुण्य भूमि को युद्धभूमि
    बना रहे हैं..
    -------------
    हमारी ज़िम्मेदारियों का अहसास कराती सामयिक रचना और सही सवाल उठाते हुए सभी को जगाने के सार्थक प्रयास के लिए आपको ढेरों शुभकामनाएँ। सादर।

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    1. हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

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  12. Replies
    1. हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

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  13. पर कौन...!?
    स्वयं सोचे और विचारें ।।
    कि आख़िर कौन है जो...
    समाधान और व्यवधान के
    बीच के अंतर को मिटा रहे हैं
    पुण्य भूमि को युद्धभूमि
    बना रहे हैं...।
    सम-सामयिक सुंदर रचना का सृजन किया है आपने। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया सधु जी।

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  14. हार्दिक आभार माननीय ।
    सादर।

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  15. बहुत बहुत सुन्दर रचना

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