Thursday, 21 January 2021

निशा का एक पहर अभी बाकी है...

गतिमान पथिक
हम दोनों
और प्रभाकर का 
तेज... प्रबल 
शिकन धुले 
कुछ थकान लिए
अविरल,अविचल,अथक,सबल ।

गरल-तमस को चीरता 
अधरों पर मुस्कान 
अभी ताज़ी है  
कोई राग तो अलापो...
चातक मन प्रतीक्षारत
निशा का एक पहर
अभी बाकी है...।

।।सधु चन्द्र।।

चित्र-साभार गूगल  

25 comments:

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    1. हार्दिक आभार माननीय। सादर ।

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    1. हार्दिक आभार माननीय। सादर ।

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    1. हार्दिक आभार माननीय। सादर ।

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  4. सुंदर प्रस्तुति। बहुत खूब।

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    1. हार्दिक आभार माननीय। सादर ।

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    1. हार्दिक आभार विभा दी। सादर ।

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  6. वाह!!!
    लाजवाब सृजन।

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    1. हार्दिक आभार सुधा जी। सादर ।

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  7. करता बात है!
    आशा का दामन थामें सुंदर सृजन।

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    1. क्या बात है। पढ़ें कृपया।

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    2. हार्दिक आभार। सादर ।

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  8. अत्यंत सुन्दर एवं भावपूर्ण सृजन।

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    1. हार्दिक आभार मीना जी । सादर ।

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  9. चातक मन प्रतीक्षारत
    निशा का एक पहर
    अभी बाकी है।

    बहुत मधुर, बहुत कोमल रचना...
    बधाई सधु चन्द्र जी 🌹🙏🌹

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    1. हार्दिक आभार शरद जी । सादर ।

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  10. अति सुंदर अभिव्यक्ति सधु जी । अभिनंदन ।

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    1. हार्दिक आभार माननीय। सादर ।

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  11. बहुत सुंदर रचना

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  12. हार्दिक आभार माननीय। सादर ।

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  13. मेरी रचना को मंच प्रदान करने के लिए हृदय तल से आभार अनीता जी।
    सादर।

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  14. गहरे शब्द।
    Beautiful lines •••

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