Wednesday, 30 June 2021

बच्चे खुशमिज़ाज शिक्षक को पसंद करते हैं और पसंद करें क्यों न!!!

बच्चे खुशमिज़ाज शिक्षक को पसंद करते हैं 
और पसंद  करें क्यों न!!! 

खुशमिज़ाजी के साथ 
पढ़ाया गया पाठ 
बच्चों के ज़ेहन में ...
बस जाता है 
चाहे वह ...
कितना ही कठिन क्यों ना हो!!!

वहीं दूसरी ओर 
बेरुखी से पढ़ाया गया पाठ 
बस... सिलेबस पूरा कर सकता है
ज़ेहन में उतारा नहीं जा सकता ।

क्योंकि...
खुशमिज़ाज माहौल में बच्चे 
खाली पतीले की तरह आते हैं 
चाहे जितना भर दो ।
पर...
इसके विपरीत स्थिति में 
सब कुछ ऊपर-ऊपर 
बह जाता है 
और हमें लगता है कि 
बच्चों के पल्ले ही कुछ नहीं पड़ा!!!!

तो चलिए 
अपना मिज़ाज ही बदल लें ।
खाली पतीले में अपना गुण भर दें।।

।।सधु चन्द्र।। 

12 comments:

  1. सुन्दर रचना हेतु बधाई व शुभकामनाएं आदरणीया सधु जी।

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  2. आपने ठीक कहा सधु जी। इसीलिए मेरी धर्मपत्नी सदैव एक आदर्श शिक्षिका रही और अपने गंभीर स्वभाव के कारण मैं चाहूं तो भी ऐसा शिक्षक नहीं बन सकता जिसे विद्यार्थी पसंद करें।

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  3. तो चलिए
    अपना मिज़ाज ही बदल लें ।
    खाली पतीले में अपना गुण भर दें।।

    वाह !! बहुत खूब कही...सादर नमन आपको

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  4. बिलकुल सही कहा है ... हंसमुख ... पढ़ाने को गहन और बच्चों को रोचकता का एहसास निरंतर बनाए रखना ...

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  5. सही कहा आपने।
    बहुत ही सुंदर सृजन।
    सादर

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  6. बहुत सुंदर

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  7. तो चलिए
    अपना मिज़ाज ही बदल लें ।
    खाली पतीले में अपना गुण भर दें।।
    सही कहा खुशमिजाज शिक्षक ही बच्चों को पसंद आते हैं
    बहुत ही सुन्दर सृजन।

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  8. एक बहुत बड़े मनोवैज्ञानिक सत्य का उद्घाटन किया है आपने। बधाई और आभार।

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  9. सुंदर और प्रेरक कथन,बहुत शुभकामनाएँ।

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  10. आपसे से पूरी तरह सहमत। सार्थक सृजन के लिए सादर शुभकामनाएँ।

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  11. बिलकुल सही दृष्टिकोण | बहुत सुन्दर रचना |

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