अवलोक रहा था
नस-नस में गौरव
घोल रहा था
झांक रहा वो
ओट पलक के
चंचल लोचन
मुडते भींचते
लहरों सी
बेबाक अदाएँ
और पलभर में कह उठा-----
वन सेल्फी प्लीज
😊😊😊
।।सधु।।
मानव नव रसों की खान है। उसकी सोच से उत्पन्न उसकी प्रतिक्रिया ही यह निर्धारित करती है कि उसका व्यक्तित्व कैसा है ! निश्चय ही मेरी रचनाओं में आपको नवीन एवं पुरातन का समावेश मिलेगा साथ ही क्रान्तिकारी विचारधारा के छींटे भी । धन्यवाद ! ।।सधु चन्द्र।।
राम एक नाम नहीं जीवन का सोपान हैं। दीपावली के टिमटिमाते तारे वाल्मिकी-तुलसी के वरदान हैं। राम है शीतल धारा गंगा की पवित्र पर...
बहुत अच्छा।
ReplyDeleteआभार!
Deleteसादर
वन सेल्फी, बहुत सुंदर। शुभम
ReplyDeleteआभार!
ReplyDeleteसादर
वाह! वाह!
ReplyDeleteक्या बात
आभार!
ReplyDeleteसादर