तुलसी वृक्ष ना जानिये
"तुलसी वृक्ष ना जानिये।
गाय ना जानिये ढोर।
गुरू मनुज ना जानिये।
ये तीनों नन्दकिशोर।
अर्थात-
तुलसी को कभी पेड़ ना समझें
गाय को पशु समझने की गलती ना करें और
गुरू को कोई साधारण मनुष्य समझने की भूल ना करें,
क्योंकि ये तीनों ही साक्षात भगवान रूप हैं"।
जी वाकई। सुंदर व सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteशुक्रिया माननीय ।
Deleteसादर।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (09-12-2020) को "पेड़ जड़ से हिला दिया तुमने" (चर्चा अंक- 3910) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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मेरी रचना को उत्कृष्ट मंच पर साझा करने हेतु हार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
Lovely lines💚
ReplyDeleteशुक्रिया अंशु🥰
Deleteबिल्कुल सही कहा आपने। जो देता है वही देवता है और तुलसी जैसे असाधारण औषधीय पौधे निश्चित ही देवता तुल्य हैं।
ReplyDeleteउत्कृष्ट विश्लेषण हेतु हार्दिक आभार माननीय।
ReplyDeleteसादर।
सुन्दर सृजन। निःसंदेह तुलसी एक दिव्य पौधा है जो शताब्दियों से हमारी सभ्यता व संस्कृति से जुड़ा हुआ है।
ReplyDeleteउत्कृष्ट विश्लेषण हेतु हार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।