Tuesday, 19 October 2021

मन का हो तो अच्छा न हो तो और अच्छा...

उपजाऊ या बंजर 
केवल ज़मीन ही नहीं
बल्कि ...
हमारा मन भी होता है ।

जहाँ जो रोपा जाए 
या तो वह खूब बढ़ता 
या तो नष्ट ही होता है ।

पर बात तो 
उस लगन और मेहनत की होती है 
जो बंज़र जमीन का सीना चीर 
जीवट विशालकाय वृक्ष को पनपाता है ।।

मन का हो तो अच्छा 
न हो तो और अच्छा।।

।।सधु चन्द्र।। 

6 comments:

  1. मन का हो तो अच्छा न हो तो ! चलो वह भी अच्छा

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 27 अक्टूबर 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

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  3. सच्ची लगन और मेहनत से सब संभव हो जाता है

    बहुत सुन्दर

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