केवल ज़मीन ही नहीं
बल्कि ...
हमारा मन भी होता है ।
जहाँ जो रोपा जाए
या तो वह खूब बढ़ता
या तो नष्ट ही होता है ।
पर बात तो
उस लगन और मेहनत की होती है
जो बंज़र जमीन का सीना चीर
जीवट विशालकाय वृक्ष को पनपाता है ।।
मन का हो तो अच्छा
न हो तो और अच्छा।।
।।सधु चन्द्र।।
ठीक कहा आपने।
ReplyDeleteमन का हो तो अच्छा न हो तो ! चलो वह भी अच्छा
ReplyDeleteसुंदर सृजन
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 27 अक्टूबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
सच्ची लगन और मेहनत से सब संभव हो जाता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
सुंदर रचना
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