पथरीली मिट्टी का क्षरण नहीं होता
लोलुपों का भरण नहीं होता
प्राणवायु के रहते मरण नहीं होता
बंद कमरे में आत्मा का हरण नहीं होता।
।।सधु।।
मानव नव रसों की खान है। उसकी सोच से उत्पन्न उसकी प्रतिक्रिया ही यह निर्धारित करती है कि उसका व्यक्तित्व कैसा है ! निश्चय ही मेरी रचनाओं में आपको नवीन एवं पुरातन का समावेश मिलेगा साथ ही क्रान्तिकारी विचारधारा के छींटे भी । धन्यवाद ! ।।सधु चन्द्र।।
राम एक नाम नहीं जीवन का सोपान हैं। दीपावली के टिमटिमाते तारे वाल्मिकी-तुलसी के वरदान हैं। राम है शीतल धारा गंगा की पवित्र पर...
कोई नहीं कहता सधु जी। हक़ीक़त को कौन नकार सकता है?
ReplyDeleteसोलह आने सही।
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