फाग का बयार
स्याह आसमान के नीचे
बिछा फूलों का अंबार...
हर डाल हर टहनी से
अरुणिमा छिटकती
लगता है ...
रंग गया है
हर दिशा
हर भाग ।
कई पतझडो़ में
अपना सर्वस्व लुटा चुका...
शूल विहीन धरा पर
फूलों की चादर बिछा चुका
मानो कर रहा हो
प्रकृति पर मौन उपकार
और चुपचाप ...
प्रकृति ले रही हो
सेमल से
पुष्पगुच्छ उपहार 🌹💐।।
।।सधु चन्द्र।।
HaPpy Holi to the wonderful writer🤗🎊🎉♥️♥️
ReplyDeleteआशीष व अशेष शुभकामनाएँ
Deleteपावन पर्व की अशेष शुभकामनाएं
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय
Deleteसादर
वृक्ष प्रकृति की अनमोल थाती और पुष्प उनके आभूषण । पुष्प से प्रकृति की मनोहारी सज्जा । नायाब कृति ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार मीना जी
Deleteसादर
हर डाल हर टहनी से
ReplyDeleteअरुणिमा छिटकती
लगता है ...
रंग गया है
हर दिशा
हर भाग ।
वाह!!!!
बहुत सटीक... लाजवाब सृजन।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना सोमवार २० मार्च २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
मेरी रचना को साझा करने हेतु हार्दिक आभार सुधा जी।
Deleteसादर।