हमारी आवाज
हमारे मनोभाव की उपज है।
हम जैसा सोचते हैं
वह विचार बनकर
हमारे शब्दों के माध्यम से
अभिव्यक्त होता है।
यदि भीतर क्षमा हो
तो क्षमा निकलेगी ।
और यदि भीतर
क्रोध, द्वेष, ईर्ष्या,अहंकार
रूपी आडंबर,गंदगी भरी है
तो जिह्वा मूल से वही निकलेगी ।
इसलिए
जब भी कुछ बाहर निकले
तो उसका दोष
किसी और पर न मढ़ें...
क्योंकि यह हमारी ही थाती है
जिसको हम अपने भीतर छुपाए बैठे हैं।।
केवल ऊँचा मकान बनाने से
कोई ऊँचा नहीं होता ।
केवल बड़ी गाड़ी लेकर
बड़ी-बड़ी बातें करके
कोई बड़ा नहीं होता।
उसकी सोच,उसके विचार
उसके ऊँचे एवं बड़े होने का
निर्धारण करते हैं।
अगर ऊँची रखनी हो तो
सोच ऊँची रखनी चाहिए
ना की आवाज।
क्योंकि आवाज ऊंची होगी
तो कुछ लोग सुनेंगे
पर बात ऊँची होगी
तो बहुत लोग सुनेंगे।
।।सधु चन्द्र।।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (27-12-2020) को "ले के आयेगा नव-वर्ष चैनो-अमन" (चर्चा अंक-3928) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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मेरी रचना को उत्कृष्ट मंच पर स्थान देने के लिए हार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
आपका कहना सही है ... जैसे विचार भाव होते हैं वही बाहर आते हैं ... पर आवेग में कई बार शब्दों को रोकना आसान नहीं ...
ReplyDeleteअच्छी रचना ...
हार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
सारगर्भित तथ्यों को उठाती सुंदर रचना..।
ReplyDeleteमेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन पर साझा करने हेतु हार्दिक आभार श्वेता जी।
ReplyDeleteसादर।
हार्दिक आभार जिज्ञासा जी ।
ReplyDeleteसादर।
उसकी सोच,उसके विचार
ReplyDeleteउसके ऊँचे एवं बड़े होने का
निर्धारण करते हैं।
...सत्य का दर्शन करवाती सार्थक रचना।।।।
हार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
अगर ऊँची रखनी हो तो
ReplyDeleteसोच ऊँची रखनी चाहिए
ना की आवाज।
क्योंकि आवाज ऊंची होगी
तो कुछ लोग सुनेंगे
पर बात ऊँची होगी
तो बहुत लोग सुनेंगे। सुन्दर सृजन।
हार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
बहुत सुंदर यथार्थ पूर्ण रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
ReplyDeleteसादर।
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteहार्दिक आभार ज्योति जी।
Deleteसादर।
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteसादर।
बेहतरीन रचना सखी
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी।
Deleteसादर।
प्रभावी लेखन ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार अमृता जी।
Deleteसादर।
जी बहुत खूब लिखा है। सार्थक सृजन के लिए आपको बधाई और शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय ।
ReplyDeleteसादर।
अगर ऊँची रखनी हो तो
ReplyDeleteसोच ऊँची रखनी चाहिए
ना की आवाज।
क्योंकि आवाज ऊंची होगी
तो कुछ लोग सुनेंगे
पर बात ऊँची होगी
तो बहुत लोग सुनेंगे।
वाकई।
सुंदर प्रस्तुति।
हार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।