माँ तेरी ही अनुकंपा है जो
विपरीत परिस्थिति में भी
सब हो जाए अनुकूल।।
प्रातर्वन्दन🙏🙏🙏
।।सधु।।
चित्र - साभार गूगल
मानव नव रसों की खान है। उसकी सोच से उत्पन्न उसकी प्रतिक्रिया ही यह निर्धारित करती है कि उसका व्यक्तित्व कैसा है ! निश्चय ही मेरी रचनाओं में आपको नवीन एवं पुरातन का समावेश मिलेगा साथ ही क्रान्तिकारी विचारधारा के छींटे भी । धन्यवाद ! ।।सधु चन्द्र।।
राम एक नाम नहीं जीवन का सोपान हैं। दीपावली के टिमटिमाते तारे वाल्मिकी-तुलसी के वरदान हैं। राम है शीतल धारा गंगा की पवित्र पर...
बहुत खूब। आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteआपको भी अशेष शुभकामनाएँ माननीय।
Deleteसादर।
सादर नमन माननीय ।
ReplyDeleteमेरी रचना को साझा करने हेतु हार्दिक आभार।
सादर।
बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
बहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार अनुराधा दी।
Deleteसादर।
बहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
सत्य है।
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
प्रणाम सधु जी, नववर्ष की शुभकामनायें
ReplyDelete
Deleteआपको भी आगत नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
माँ की अनुकम्पा हो तो जीवन सार्थक हो जाता है ... सब अनुकूल हो जाता है ... सुन्दर शब्द ...
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
माँ तेरी ही अनुकंपा है जो
ReplyDeleteविपरीत परिस्थिति में भी
सब हो जाए अनुकूल।।
हृदयस्पर्शी ....
बहुत सुंदर रचना...
हार्दिक आभार शरद जी।
Deleteसादर।
ममता की छाँव में कोमल तल-झाड़ियाँ भी बने शूल।
ReplyDeleteमाँ तेरी ही अनुकंपा है जो
विपरीत परिस्थिति में भी
सब हो जाए अनुकूल
अतुलनीय।
हार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।