Thursday 29 October 2020

हे शिव! मानव रूप धर तुम धरा पर कब आओगे?



ज्ञान की दुशाला तान 
अवचेतन का रखते मान 
अवशेषजन का करने कल्याण
उद्बोधन कब जगाओगे ?
हे शिव! मानव रूप धर 
तुम धरा पर कब आओगे?

अपने डमरू में ले डंकार 
राम-धनुष पर चढ़ा टंकार  
तिमिर में ज्योत कब जगाओगे? 
हे शिव! मानव रूप धर 
तुम धरा पर कब आओगे? 

भस्मासुर की भरी प्रजातियाँ 
मिला जिन्हें नेता का नाम 
 जोर-शोर से छल-प्रपंच का 
चल रहा यहाँ, सरोकार का काम
 हे देव सोचो !!

जनता क्यों न मचाए हाहाकार 
जब उनपर हो रहा अगाध अत्याचार।

नितदिन हो रही 
पावन गंगा की कलुषित गात 
धृष्ट अभिलाषाएँ ...न सुने बात 
विह्वल मन बस तुम्हें पुकारे ।
सुप्त जग को कब 
जगाओगे जग आओगे।।

हे शिव! मानव रूप धर 
तुम धरा पर कब आओगे?


छद्ममयी दुरात्मा का 
शीघ्र हो नाश 
बालमन मानव के बस 
तुम्हीं एक आस

हृदय कहता निश्चय ही... 
मानव रूप धर
तुम शीघ्र धरा पर आओगे
पर ...हे शिव! मानव रूप धर 
तुम धरा पर कब आओगे?

प्रातर्वन्दन 🙏🙏🙏💐
।।सधु।। 

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