Wednesday, 3 February 2021

चलो एक कहानी लिखें ...संवेदनाओं को अपनी ज़ुबानी लिखें...

 सुनो...!
चलो एक कहानी लिखें 
हाट बाज़ार से इतर
संवेदनाओं को
अपनी  ज़ुबानी लिखें।

अक्षर की कटारों में
समय की धार लिखें।
छांव के नाम लिखें...
इज़हार-ए-मुहब्बत धूप का।
ज़रूरत आन पड़ी तो...
आग को आधार लिखें।

चलो एक कहानी लिखें 
संवेदनाओं को
अपनी  ज़ुबानी लिखें।

बर्तनों की ठनठनाहट 
सितारों की जगमगाहट को
न अशरफ़ियो के नाम लिख दें ।

ये जो कुहासा छाया है  
महामारी का ...!!!
उसे चीरते ...
सर्द फाहों पर
अपनी संगत की 
दिवानगी लिख दें ।

चलो एक कहानी लिखें 
संवेदनाओं को
अपनी  ज़ुबानी लिखें।

कुछ तुम कहो 
कुछ मैं ।
कुछ तुम सुनो 
कुछ मैं ।
तुम लिखो 
कुछ मैं ।
ढलते सूरज की तरह 
ज़िन्दगी के भोर की...
रवानगी लिख दें ।

चलो एक कहानी लिखें 
संवेदनाओं को
अपनी  ज़ुबानी लिखें।

।।सधु चन्द्र।।

चित्र  - साभार गूगल

27 comments:

  1. बहुत ही सुंदर सृजन।

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज गुरुवार 04 फरवरी को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. सराहनीय काव्याभिव्यक्ति सधु जी ।

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  4. आपने लिख दी हमने पढ़ ली अद्धभुत कहानी

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  5. अक्षर की कटारों में
    समय की धार लिखें।
    छांव के नाम लिखें...
    इज़हार-ए-मुहब्बत धूप का।
    ज़रूरत आन पड़ी तो...
    आग को आधार लिखें।
    ---------

    बहुत सुंदर, सार्थक और बढ़िया लिखा सधु चन्द्र जी। सुंदर सृजन के लिए आपको शुभकामनाएँ।

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  6. बहुत सुंदर सार्थक सृजन..सादर शुभकामनाएँ..

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  7. अक्षर की कटारों में
    समय की धार लिखें।
    छांव के नाम लिखें...
    इज़हार-ए-मुहब्बत धूप का।
    ज़रूरत आन पड़ी तो...
    आग को आधार लिखें।

    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति संधु जी

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  8. वाह!बहुत ही सुंदर।
    अक्षर की कटारों में
    समय की धार लिखें।
    छांव के नाम लिखें...
    इज़हार-ए-मुहब्बत धूप का।
    ज़रूरत आन पड़ी तो...
    आग को आधार लिखें।..वाह!

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  9. हार्दिक आभार ।
    सादर।

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