Monday, 15 March 2021

क्रोध संतप्त, हृदय विरक्त

क्रोध संतप्त, हृदय विरक्त 
पर न उढे़ल, 
शब्दों से तू रक्त।
अधरों को दे विराम
नयनों का बन भक्त।। 

शिक्षालय है देह तेरा 
हो शिक्षा विषय अनिवार्य
पाखंड,आडंबर विषयों का
सदा ही कर परिहार्य।।

।।सधु चन्द्र।। 

चित्र-साभार गूगल

31 comments:

  1. गागर में सागर जैसी रचना है। आपको बहुत-बहुत बधाई।

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  2. शिक्षालय है देह तेरा
    हो शिक्षा विषय अनिवार्य
    पाखंड,आडंबर विषयों का
    सदा ही कर परिहार्य।।

    क्या बात कही है !!बेहतरीन अभिव्यक्ति सधु जी,सादर नमन

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  3. बेहतरीन रचना गागर में सागर भर दिया आपने

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  4. सुंदर सीख देती छोटी पर नावक के तीर सी गहन अभिव्यक्ति ‌

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  5. सुंदर रचना , गहरी अभिव्यक्ति
    सादर

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  6. इस छोटी-सी कविता के शब्द-शब्द में सार्थकता कूट-कूटकर भरी है सधु जी आपने ।

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  7. छोटी सी पंक्त‍ि क‍ि ''शब्दों से तू रक्त।
    अधरों को दे विराम''...बड़ा संदेश...बहुत खूब सधु जी

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  8. क्रोध संतप्त, हृदय विरक्त
    पर न उढे़ल,
    शब्दों से तू रक्त।
    अधरों को दे विराम
    नयनों का बन भक्त।।

    अनमोल विचार
    शुभकामनाएं।

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  9. सुन्दर सारगर्भित रचना ।

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  10. चन्द चब्दों में गहरी बात ...
    दूर की बात, बहुत सुन्दर रचना है ...

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  11. चन्द चब्दों में बड़ा संदेश...बहुत खूब

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  12. हार्दिक आभार ।
    सादर।

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