Wednesday, 21 October 2020

शब्द


शब्द अथाह है 
अपार  है
अनंत है 

पर...
उस "अनंत का अंत" 
शब्द मेरा है l

हर शब्द में एक काशिश ~~~~
एक नया उन्माद होता है ।

शब्द प्रेम है 
शब्द अनुभव है 
शब्द तुममें है 
शब्द मुझमें है 
शब्द है भाव की काया
शब्द है आँखों की माया ।

शब्द वाचाल है 
पर ....
अनरगल नहीं 
शब्द सार्थक है 
निरर्थक नहीं 

किंतु मेरा शब्द अनन्य है .....

वह मूक है 
मौन है 
निस्तेज है 
सांकेतिक है वह l
उद्दीपन 
आलंबन 
स्थाईभावों को 
खुद में  समेटे ...
आंगिक -रसमयी है ।

हाँ !!!!
मेरा वह आलौकिक शब्द 
"नि:शब्द"है l
क्योंकि  भाव...
शब्द का मोहताज नहीं ~~~l

।।सधु।। 

7 comments:

  1. Mind-blowing...(as usual)....I can feel the intensity and the deepness in all your poems....
    Your student
    Ayushi

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  2. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 23-10-2020) को "मैं जब दूर चला जाऊँगा" (चर्चा अंक- 3863 ) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.

    "मीना भारद्वाज"

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  3. हार्दिक आभार दी🙏

    ReplyDelete

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