अपार है
अनंत है
पर...
उस "अनंत का अंत"
शब्द मेरा है l
हर शब्द में एक काशिश ~~~~
एक नया उन्माद होता है ।
शब्द प्रेम है
शब्द अनुभव है
शब्द तुममें है
शब्द मुझमें है
शब्द है भाव की काया
शब्द है आँखों की माया ।
शब्द वाचाल है
पर ....
अनरगल नहीं
शब्द सार्थक है
निरर्थक नहीं
किंतु मेरा शब्द अनन्य है .....
वह मूक है
मौन है
निस्तेज है
सांकेतिक है वह l
उद्दीपन
आलंबन
स्थाईभावों को
खुद में समेटे ...
आंगिक -रसमयी है ।
हाँ !!!!
मेरा वह आलौकिक शब्द
"नि:शब्द"है l
क्योंकि भाव...
शब्द का मोहताज नहीं ~~~l
।।सधु।।
Mind-blowing...(as usual)....I can feel the intensity and the deepness in all your poems....
ReplyDeleteYour student
Ayushi
Thank you & love you Ayushi
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteआभार
Deleteसादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 23-10-2020) को "मैं जब दूर चला जाऊँगा" (चर्चा अंक- 3863 ) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है.
…
"मीना भारद्वाज"
हार्दिक आभार🙏
Deleteहार्दिक आभार दी🙏
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