शाम ढलते
उसे अपने घोंसले में ही वापस आना होता है
इसलिए नहीं कि
उसकी जान वहाँ सुरक्षित है
बल्कि इसलिए कि
उसकी जान वहाँ सुरक्षित है ।
।।सधु।।
मानव नव रसों की खान है। उसकी सोच से उत्पन्न उसकी प्रतिक्रिया ही यह निर्धारित करती है कि उसका व्यक्तित्व कैसा है ! निश्चय ही मेरी रचनाओं में आपको नवीन एवं पुरातन का समावेश मिलेगा साथ ही क्रान्तिकारी विचारधारा के छींटे भी । धन्यवाद ! ।।सधु चन्द्र।।
राम एक नाम नहीं जीवन का सोपान हैं। दीपावली के टिमटिमाते तारे वाल्मिकी-तुलसी के वरदान हैं। राम है शीतल धारा गंगा की पवित्र पर...
बहुत सुंदर लिखा आपने
ReplyDeleteमेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है।एक बार आकर सभी रचनाएँ पढ़ें और अपना बहुमूल्य मूल्यांकन दें
satishrohatgipoetry. blogspot.com
सादर आभार
ReplyDeleteनिश्चय ही माननीय सतीश जी
वाह बहुत सुंदर
ReplyDelete
Deleteहार्दिक आभार
सादर
उसकी जान वहाँ सुरक्षित है
ReplyDeleteबल्कि इसलिए कि
उसकी जान वहाँ सुरक्षित है ।
वाह!
आभार!
Deleteसादर