जन्म का क्षण...
धर्मनिरपेक्षता रूपी उपहार
जहाँ पंडित के घर हुआ,ईसा मसीह का अवतार।
आज दहाई में
प्रवेश कर गए तुम।
अपनी ख़ुशियाँ
बयाँ नहीं कर सकती
जो...
स्मृतियों की
उन पीड़ाओं से
कहीं ऊपर है
जिसे पहली बार
तुम्हे स्पर्श व आलिंगन से मिली।
युग-युग जियो मेरे लाल !
तुम ही हो
कल के कर्णधार
तुम कीर्ति हो,पर्व हो...
ज्योति हो ज्वाला बनो।
उज्ज्वलता का वेश धरो।
देश के उत्तराधिकारी हो
न तुम थमों, न तुम रुको
प्रपञ्च में न तुम पड़ो
चले चलो, चले चलो
आगे बढ़ो, बढ़े चलो.......
तुम्हारी माँ
।।सधु चन्द्र।।
बच्चे को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। माँ की ममता से ओत-प्रोत सुंदर रचना को बार- बार पढ़ा। आपको ढेरों शुभकामनाएं और बधाई। सादर।
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Deleteविशेष शुभकामनाओं के लिए हृदय तल से आभार माननीय।
सादर।
जन्मदिन मुबारक!!!
ReplyDeleteहृदय तल से आभार। सादर।
Deleteबहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति सधु जी! माँ की निर्मल भावनाओं को बहुत बढिया ढंग से उकेरा है आपने। ये आपकी कल्पना का कमाल है कि आपने बड़े दिन को जन्में बेटे को ईसा मसीह माना। सचमुच इस दिवस विशेष को दुनिया में आना बहुत बड़ा सौभाग्य है। बेटे को जन्म दिन पर बहुत बहुत शुभकामनाएं और आशीष। आपको भी बहुत- बहुत बधाई।
ReplyDeleteविशेष शुभकामनाओं के लिए हृदय तल से आभार रेणु जी।
Deleteसादर।
आपके सुपुत्र को जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
बेटे को जन्मदिन का ढेर सारा आशीर्वाद एवं आपको ढेर सारी शुभकामनायें सधु जी..आपकी कविता बड़ी ही मनमोहिनी है..
ReplyDeleteविशेष शुभकामनाओं के लिए हृदय तल से आभार जिज्ञासा जी।
ReplyDeleteसादर।
शुभाशीष।
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
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