Monday, 28 December 2020

मरण या स्मरण!

स्वयं के लिए 
जीने वाले का 
'मरण' होता है ।
दूसरे के लिए 
जीने वाले का तो 
हमेशा ही 'स्मरण' होता है।

'प्राप्त' को 'पर्याप्त' समझने वाला ही
संतोषी 'सुखी' होता है
वरना..
ज़्यादा और ज़्यादा के 
ज़हरीले भूख में 
इंसान अक्सर 'दुखी' होता है।


6 comments:

  1. सत्य को दृश्यमान करती अनोखी कृति..

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  2. बहुत सही सधु जी। सादर बधाई।

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    1. हार्दिक आभार माननीय।
      सादर ।

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  3. प्राप्त' को 'पर्याप्त' समझने वाला ही
    संतोषी 'सुखी' होता है
    वरना..
    ज़्यादा और ज़्यादा के
    ज़हरीले भूख में
    इंसान अक्सर 'दुखी' होता है।

    प्रभावशाली रचना ।

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    1. हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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