युद्ध अंदर
मस्तिष्क और हृदय के बीच निरंतर।
एक बढ़ता अविरल
शांति-पथ पर
किन्तु, एक पुनः
किसी प्रेम-विश्वास के पथ पर ।
कभी अनुभव होता निर्बल
तो कभी दुगना सबल ।
कभी भारी और भारी
रात्रि सताती
तो कभी चांदनी का स्पर्श
हल्का कर, थकान मिटाती ।
कभी अधरों पर फीकी मुस्कान
तो कभी भीतर पीड़ा की खान ।
कभी सूखी धरती
तो कभी भीगा आसमान ।
कभी आत्मा का तत्व शुष्क
फिर भी सजल नैनो का
न होता सत्व विलुप्त ।
कभी कोमल हृदय
तो कभी हृदय प्रस्तर।
पर, कभी ऐसा भी होता है जब...
सुखी आँखें, होठों पर खींची मुस्कान
किन्तु भीगा मन,
मुखमौन
चीख- चीख कर करता बखान...
तब मैं कवि बन जाता हूँ...।
जब मेरे भीतर की उष्मा तेज होती है
जब मेरे भीतर अतीत
वर्तमान से द्वंद्व करता है
जब सुकोमल मन पर कोई
हथौड़ी की चोट करता है
तब मैं कवि बन जाता हूँ।।
।।सधु चन्द्र।।
चित्र - साभार गूगल
वाह।
ReplyDeleteहार्दिक आभार ।
Deleteसादर।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (07-02-2021) को "विश्व प्रणय सप्ताह" (चर्चा अंक- 3970) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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"विश्व प्रणय सप्ताह" की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
--
हार्दिक आभार ।
Deleteसादर।
जब सुकोमल मन पर कोई
ReplyDeleteहथौड़ी की चोट करता है
तब मैं कवि बन जाता हूँ।।
....बहुत सही
हार्दिक आभार ।
Deleteसादर।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सधु जी । अभिनंदन ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार ।
Deleteसादर।
बहुत सुन्दर सृजन। आपको बधाई।
ReplyDeleteहार्दिक आभार ।
Deleteसादर।
सुंदर!
ReplyDeleteहार्दिक आभार ।
Deleteसादर।
जब सुकोमल मन पर कोई
ReplyDeleteहथौड़ी की चोट करता है
तब मैं कवि बन जाता हूँ।।
बहुत सुंदर सधु चन्द्र जी, वाह!!!
🌹🙏🌹
हार्दिक आभार ।
Deleteसादर।
एक आंतरिक द्वंद्व ,
ReplyDeleteयुद्ध अंदर
मस्तिष्क और हृदय के बीच निरंतर।
काश, ख्वाहिशों के, खुले पर न होते ....
तो, निरंतर ये द्वन्द न होते।।।।
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया सधु जी ।। इस जीवन्त विषय को बार-बार मुखर करने की आवश्यकता है।।।।।
हार्दिक आभार ।
Deleteसादर।
पर, कभी ऐसा भी होता है जब...
ReplyDeleteसुखी आँखें, होठों पर खींची मुस्कान
किन्तु भीगा मन,
मुखमौन
चीख- चीख कर करता बखान...
तब मैं कवि बन जाता हूँ...।
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति
हार्दिक आभार ।
Deleteसादर।
बहुत खूब लिखा आपने।
ReplyDeleteहार्दिक आभार ।
Deleteसादर।
प्रभावपूर्ण प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक आभार ।
Deleteसादर।
बहुत सुन्दर कृति।
ReplyDeleteहार्दिक आभार ।
Deleteसादर।
संवेदनाएं ही एक कवि के सृजन का आधार हैं। सार्थक रचना।
ReplyDeleteहार्दिक आभार ।
Deleteसादर।
वाह ! संघर्ष से ही सृजन संभव है
ReplyDeleteहार्दिक आभार ।
Deleteसादर।