अलग बात है
और ...
उस रिश्ते पर दर्प करना
अलग बात ।
गर्व और घमंड
समानार्थक लगने वाले शब्द
सार्थक होते ही
चोटिल कर जाते हैं
ये रिश्ते ...
गुल्लक में जमा धन की तरह होते हैं
जिन्हें केवल ...
सहेजना होता है
न तो भंजाना
न ही दर्प करना ।
क्योंकि -
टूटकर बिखरने से पहले
गुल्लक को भी
यही घमंड होता है कि
सारे पैसे उसी के हैं
पर ...
बिखरने के बाद ...
केवल गुल्लक ही रह जाता है
वह भी कई टुकड़ों में...।।
।।सधु।।
चित्र-साभार गूगल
वाह
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteहार्दिक आभार दी
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ReplyDeleteलाजवाब सृजन - - व्यक्ति को आत्म मंथन की ओर प्रेरित करता है - - साधुवाद महोदया, आपकी ये रचना अन्तर्मन में नव चेतना का संचार करती है।
ReplyDeleteउत्कृष्ट विश्लेषण हेतु हार्दिक आभार माननीय
Deleteअद्धभुत सृजन.. साधुवाद
ReplyDeleteहार्दिक आभार दी
Deleteटूटकर बिखरने से पहले
ReplyDeleteगुल्लक को भी
यही घमंड होता है कि
सारे पैसे उसी के हैं
वाह!
आभार!
Deleteसादर