Monday, 7 December 2020

वाचाल नैनों के बीच, मूक जिह्वा की भाषा

न वर्ण 
न शब्द 
न लिपि
न व्याकरण ज्ञान।
न जाने कौन सी है यह भाषा!!!

बिन आला लगाए
अनुभव करता 
एक-एक स्पंदन
हृदय का...

अभिव्यक्ति रहित 
नजर से चढ़
हृदय में उतरती।
भाव को भापती।

विस्मयकारी 
आह्लादित
चमत्कृत करती।
दो लोगों के बीच की यह भाषा 

वाचाल नैनों के बीच
मूक जिह्वा की भाषा 
न जाने कौन-सी है यह भाषा!!!
जो अथाह  
शब्द भंडार को भी 
निःशब्द कर देती है ....!

।।सधु चन्द्र।। 



8 comments:

  1. वाचाल नैनों के बीच
    मूक जिह्वा की भाषा
    न जाने कौन-सी है यह भाषा!!!
    बहुत सुंदर! 👌👌
    सूक्ष्म मानवीय संवेदनाओ को स्पर्श करती रचना। हार्दिक शुभकामनाएं सधु जी।

    ReplyDelete
  2. हार्दिक आभार रेणु जी।
    सादर।

    ReplyDelete

  3. विस्मयकारी
    आह्लादित
    चमत्कृत करती।
    दो लोगों के बीच की यह भाषा..।अंतर्मन तक स्पर्श करती सुंदर रचना..।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार जिज्ञासा जी।
      सादर।

      Delete
  4. वाचाल पैन और मूक जिह्वा,सब कह जाती हैं शब्दों बगैर।
    सुन्दर भावपूर्ण रचना

    ReplyDelete
  5. हार्दिक आभार माननीय।
    सादर।

    ReplyDelete
  6. भाव को भापती।❤️
    बहुत खूब।👌👌😊😊

    ReplyDelete

राम एक नाम नहीं

राम एक नाम नहीं  जीवन का सोपान हैं।  दीपावली के टिमटिमाते तारे  वाल्मिकी-तुलसी के वरदान हैं। राम है शीतल धारा गंगा की  पवित्र पर...