Friday, 8 January 2021

ईर्ष्यालुओं को सादर नमन🙏



दुनियाँ में ईश्वर का आभार 

अभिव्यक्त करने के 

कई कारण हो सकते हैं ।

पर ... हे ! ईश्वर 

आपका विशेष आभार

कि आपने कुछ 

ऐसे उत्कृष्ट लोगों को बनाया कि

जिससे लोग बराबरी करना 

शान समझ सकें 

और नहीं तो 

उस विशेष के प्रति 

औरों का समर्पण देख 

द्वेष-ईर्ष्या कर सकें।

ताकि उन ईर्ष्यालु विशेष

पैंतीस आर-पार में भी

तीव्र हार्मोनल परिवर्तन हो सके । 😊

अब इनमें परिपक्वता तो 

आ नहीं सकती 

तो कम से कम ये स्वस्थ रह सकें

और निरंतर ईर्ष्या कर सकें  ।😀😀😀

अनुमानतः

वे ईर्ष्या कर यह जताते हैं कि 

वे कितने अधूरे...

कितने असंतुष्ट है.. 

और बराबरी की होड़ में 

प्रतिद्वंदिता से बहुत पिछड़े हुए हैं।

सामना करना उनके वश में नहीं 

तो चलो ईर्ष्या कर लें,

टाँग खींच दें।

उन ईर्ष्यालुओं को सादर  नमन।🙏


तुच्छ मेधा  द्वारा इनका आकलन  

कुछ इस प्रकार है ।इनमें -

निरीक्षण करना

तुलना करना

निगरानी करना

 और सबसे ऊपर

चुप रहना व दुखी होना जैसे ...

भार को ढो 

अमिट छाप  छोड़ना हैं...। 🤗


 हे ! ईश्वर 

है  ईर्ष्या रूपी अंधेरा 

अब प्रेम का प्रकाश निकलना चाहिए।

हो जिस तरह भी 

पर यह द्वेष  रूपी मौसम 

बदलना चाहिए।।🙏🙏


।।सधु चन्द्र।। 


चित्र-साभार गूगल 

16 comments:

  1. बहुत खूब सधू जी. गोस्वामी जी ने भी सृजन के श्री गणेश के साथ इन जलने वालों की स्तुति की है और इन्हें
    मिलत दारुण दुख देंहीं-----
    बताया है🙏🙏

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    1. उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक आभार रेणु जी।
      सादर।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (10-01-2021) को   ♦बगिया भरी बबूलों से♦   (चर्चा अंक-3942)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --
    हार्दिक मंगल कामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

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    1. मेरी रचना को एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करने हेतु हार्दिक आभार माननीय।
      सादर नमन ।

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  3. निंदा कर ले , यहाँ तक तो स्वीकार्य है, पर ईर्ष्या अन्दर ही अन्दर जलाती है।
    आपकी रचना ने बखूबी इस तथ्य को उजागर किया है। बेहतरीन। ।।।।

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    1. उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक आभार पुरुषोत्तम जी।
      सादर।

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  4. है ईर्ष्या रूपी अंधेरा
    अब प्रेम का प्रकाश निकलना चाहिए।
    हो जिस तरह भी
    पर यह द्वेष रूपी मौसम
    बदलना चाहिए

    आमीन !!! अनुभवोंं और सद्कामना से परिपूर्ण अत्यंत सुंदर रचना 🌹🙏🌹

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    1. उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक आभार शरद जी।
      सादर।

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  5. ईर्ष्या का होना और मौसम बदलना ... प्रकाश तो उदित होता ही है ... लाजवाब गहरे भाव लिए सुन्दर रचना है ...

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    1. उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

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  6. सुन्दर प्रेरणादायी सृजन।

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    1. उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक आभार माननीय ।
      सादर।

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  7. बहुत खूब अलहदा सा विषय ।
    सटीक चित्रण।

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    1. उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक आभार।
      सादर।

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  8. यथार्थवादी रचना।

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    1. हार्दिक आभार माननीय।
      सादर।

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