उस निर्धारित परिमाप से
कहीं विस्तृत ....
जिसे नियति ने नियत किया
पर हर दिन उस स्वप्निल
उड़ान को जी लेती...
जिसे तुम्हें ले देखा है...।
बस 'तुम' और 'मैं' का साथ
'हम' को प्रबल बनाता है
हर जंग में जीत का
परचम फैलाता है।
निश्चय ही ...
इस विस्तृत आकाश में
बाहें फैलाए
एक- एक सोपान पर
पदार्पण कर लेंगे।
निरंतर अभ्यासरत...
बस...एक अवसर मिले!
जड़ें मजबूत करते
गगन भी पार कर लेंगे।
अक्षर की कटारों में
समय से धार कर लेंगें।
बस...एक अवसर मिले!
छांव से नाम लिख देंगे
धूप के इज़हार में अपना
अगर होगी ज़रूरत आग
को आधार कर लेंगे।।
क्योंकि
उन्मुक्त मन का आयतन
उस निर्धारित परिमाप से
कहीं विस्तृत ....है।
।।सधु चन्द्र।।
निश्चय ही ...
ReplyDeleteविस्तृत आकाश में
बाहें फैलाए
एक- एक सोपान पर
पदार्पण कर लेंगे।
निरंतर अभ्यासरत...
बस...एक अवसर मिले!
बहुत बहुत सुन्दर
सादर नमन।
Deleteहृदयतल से आभार।
सादर।
बस 'तुम' और 'मैं' का साथ
ReplyDelete'हम' को प्रबल बनाता है
हर जंग में जीत का
परचम फैलाता है...,
सत्य कथन..बहुत सुन्दर सराहनीय सृजन सधु चन्द्र जी ।
हृदयतल से आभार।
Deleteसादर।
प्रेरक प्रस्तुति। सार्थक रचना। बहुत बढ़िया सृजन के लिए आपको बधाई।शुभकामनाएं।
ReplyDeleteहृदयतल से आभार।
Deleteसादर।
बस 'तुम' और 'मैं' का साथ
ReplyDelete'हम' को प्रबल बनाता है
हर जंग में जीत का
परचम फैलाता है।
यथार्थ ! श्रेष्ठ सृजन 🌹🙏🌹
हृदयतल से आभार।
Deleteसादर।
ReplyDeleteजड़ें मजबूत करते
गगन भी पार कर लेंगे।
अक्षर की कटारों में
समय से धार कर लेंगें।
बस...एक अवसर मिले..सुन्दर सारगर्भित, संदेशपरक रचना..
हृदयतल से आभार।
Deleteसादर।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 10 जनवरी 2021 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteमेरी लिखी रचना को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन" जैसे उकृष्ट मंच पर साझा करने हेतु हार्दिक आभार दिव्या जी।
Deleteसादर।
बहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteहृदयतल से आभार।
Deleteसादर।
सुंदर रचना
ReplyDeleteहृदयतल से आभार।
Deleteसादर।
सुंदर
ReplyDeleteहृदयतल से आभार।
Deleteसादर।
बहुत सुंदर।❤️❤️
ReplyDeleteशुक्रिया प्यारी अंशु😍
Deleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteहृदयतल से आभार।
Deleteसादर।
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteविश्व हिन्दी दिवस की बधाई हो।
सादर नमन माननीय।
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ReplyDeleteबस 'तुम' और 'मैं' का साथ
'हम' को प्रबल बनाता है
हर जंग में जीत का
परचम फैलाता है।
बेहतरीन रचना आदरणीया
हार्दिक आभार।
Deleteसादर।
वाह!
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
👌👌👌👌
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