Tuesday 13 April 2021

अनेकता में एकता का अनूठा दिनांक 14 अप्रैल


अनेकता में एकता का अनूठा दिनांक 14 अप्रैल 
अनूठा दिनांक 14 अप्रैल अनेकता में एकता का पर्व है जो कि वैशाखी एवं अन्य नामों से प्रचलित है तथा हिन्दुओं, बौद्ध और सिखों के लिए महत्वपूर्ण है। 
वैशाख के पहले दिन पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के अनेक क्षेत्रों में बहुत से नववर्ष के त्यौहार जैसे 
नववर्ष -कश्मीर (कश्मीरी पंडित) 
बैसाखी - पंजाब 
सतुआन- बिहार
जुड़शीतल- मिथलांचल(बिहार)
पोहेला बोशाख/नबा बर्ष- बंगाल 
बोहाग बिहू- असम
विशु-केरल
पुथंडु-  तमिलनाडु 
यूगाडी- कर्नाटक 
 उगाडी- आन्ध्र प्रदेश 
कोंकण - सम्वत्सर पर्व
आदि मनाए जाते हैं।क्योंकि इस दिन सूर्य, मीन से मेष राशि में प्रवेश करता है। इस कारण इस दिन को मेष संक्रान्ति भी कहते है। इसी पर्व को विषुवत संक्रांति भी कहा जाता है।
14 अप्रैल के इन पर्वों के पीछे कृषि प्रधान देश के रबी फसल की कटाई है।जब खेतों में रबी की फसल पककर लहलहाती हैं,तो देश के कोने-कोने में बसे किसानों के मन में फसलों को देखकर खुशी मिलती और वे अपनी खुशी का इजहार बैसाखी एवं अन्य पर्व के रूप में  मनाकर करते हैं। निश्चय ही या अनेकता में एकता का प्रतीक है।

 इस पर्व को  उत्तर भारत के लोग बेहद  हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इसे सत्तू संक्रांति या सतुआन भी कहा जाता है।
 

बैसाखी

जुड़ शीतल 

पोहेला बोशाख/नबा बर्ष
बोहाग बिहू

पुथंडु
की शुभकामनाएँ ।


इसके अतिरिक्त संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष,बहुज्ञ   'ज्ञान का प्रतीक' (सिम्बॅल ऑफ नॉलेज) डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर के  जन्म दिवस के रूप में भी यह 14 अप्रैल मनाया जाता है।
बाबा अम्बेडकर की जयंती पर उन्हें सादर नमन 🙇। 

।।सधु चन्द्र।। 
चित्र साभार -गूगल 

9 comments:

  1. अशेष शुभकामनाएं

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  2. सुंदर जानकारी। लेकिन अभी वैशाख कहां शुरू हुआ है।

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  3. सुंदर जानकारी सधु जी
    नववर्ष और नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये आपको

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  4. हार्दिक शुभकामनाएं

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  5. नवरात्रि तथा नूतन संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाओं सहित इस सूचनाप्रद आलेख हेतु आपका आभार माननीया सधु जी।

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  6. बहुत-बहुत सुंदर प्रस्तुति। ।।।

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