हर प्रक्रिया पर तुम्हारे।
बहुत थामा था
प्राकृतिक प्रतिक्रिया को हमारे ।।
पर ...
कुछ हृदय की ज्वारभाटा ने उड़ेला
कुछ आँखों की नम लहरों ने।।
।।सधु चन्द्र।।
मानव नव रसों की खान है। उसकी सोच से उत्पन्न उसकी प्रतिक्रिया ही यह निर्धारित करती है कि उसका व्यक्तित्व कैसा है ! निश्चय ही मेरी रचनाओं में आपको नवीन एवं पुरातन का समावेश मिलेगा साथ ही क्रान्तिकारी विचारधारा के छींटे भी । धन्यवाद ! ।।सधु चन्द्र।।
राम एक नाम नहीं जीवन का सोपान हैं। दीपावली के टिमटिमाते तारे वाल्मिकी-तुलसी के वरदान हैं। राम है शीतल धारा गंगा की पवित्र पर...
वाह! मोहक पंक्तियाँ!
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति, चंद शब्दों में पूरी कहानी, वही व्यथा पुरानी।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर। ।।।
सुन्दर रचना |
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