सुनना-सुनाना
सब परिस्थितियों का खेल है ।
अनुकूल समय...
उपदेश देना
प्रतिकूल समय ...
उपदेश सुनना
सीखा देती है ।
एक इंसान...
हर किसी के लिए
एक सा नहीं होता।
कोई... अच्छे के लिए अच्छा नहीं होता
तो कोई ...बुरे के लिए अच्छा नहीं होता।
यह इंसान वही है
पर जहां एक ओर वह...
किसी के लिए बुरा नहीं होता
तो वहीं दूसरी ओर
किसी के लिए अच्छा नहीं होता।।
।।सधु चन्द्र।।
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (३०-0६-२०२१) को
'जी करता है किसी से मिल करके देखें'(चर्चा अंक- ४१११) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हार्दिक आभार अनीता जी।
ReplyDeleteसादर।
सच बात
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteसादर
सही कहा।
ReplyDeleteइंसान को परिस्थितियों के अनुकूल काम करना पड़ता है।
सुना है इन दिनों रावण पर बड़े लेख और कविता लिखी जा रही है. कोई उसे अच्छा बताता है तो कोई उसे बुरा।
सटीक रचना।
मेरा नया ब्लॉग समय की मांग के अनुसार दो विषयों यथा प्रकृति/पेड़-पौधों और साहित्य रचनाएं/दर्शन पर आधारित है। इस बार की पोस्ट साहित्यिक रचना से सम्बंधित हैं पुलिस के सिपाही से by पाश
काम अच्छा लगे तो ब्लॉग को फॉलो भी करें ताकि नई पोस्ट का अपडेट मिलता रहे।
हार्दिक आभार।
Deleteसादर
बात तो बिलकुल सच कही है सधु जी आपने।
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteसादर
सही सटीक व्याख्या करता अभिनव सृजन।
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteसादर
बहुत सुंदर और सटीक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteसादर
एक इंसान...
ReplyDeleteहर किसी के लिए
एक सा नहीं होता।
कोई... अच्छे के लिए अच्छा नहीं होता
तो कोई ...बुरे के लिए अच्छा नहीं होता।
सुंदर सटीक अभिव्यक्ति 🙏
बिल्कुल, हम सब परिस्थितियों के दास ही तो हैं। समय सब कुछ सीखा जाता है। सुंदर सृजन।
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर
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