बकरी पाती खात है ताकी काढ़ी खाल।
जे नर बकरी खात हैं, ताको कौन हवाल।।
अर्थ :
कबीर दास जी कहते हैं कि बकरी एक निर्दोष जीव है जो किसी को नुक़सान नहीं पहुंचती है तब भी उसकी खाल निकाली जाती है।
अब ये सोचने की बात है कि जो लोग बकरी का भक्षण करते हैं अर्थात् उसका मांस खाते है उनका कितना बुरा हाल होगा यह तो ईश्वर ही बेहतर जानता है।
Moral of the story
जब बेगुनाह की खाल उतार ली जाती है तो गुनाहगार का क्या हश्र होगा!!!!
चित्र-साभार गूगल
वाह!
ReplyDeleteसार्थक संदेश। बधाई आपको।
ReplyDeleteसुंदर।
ReplyDeleteप्रिय सधु जी,बकरी या गाय की ही नहीं हर जीवधारी प्राणी की अपने स्वाद मात्र के लिए जान लेना अधर्म और अक्षम्य अपराध है।यूँ संसार की जनसंख्या का ज्यादतर हिस्सा माँसभक्षी है और चिडिया से लेकर ऊँट तक का भक्षण करता है।☹
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