यथार्थ क्या है!!!?
जो अपने हक के लिए
खड़े ना हो
वे पाखंडी हैं ।
जिसके मानस पटल पर
प्रश्न ही ना उभरे
वे पारदर्शी मूर्ख।
और जिनके अंतस में
प्रश्न नाम की कोई चीज ही नहीं
वे साक्षात परतंत्र दास हैं।
।।सधु चन्द्र।।
मानव नव रसों की खान है। उसकी सोच से उत्पन्न उसकी प्रतिक्रिया ही यह निर्धारित करती है कि उसका व्यक्तित्व कैसा है ! निश्चय ही मेरी रचनाओं में आपको नवीन एवं पुरातन का समावेश मिलेगा साथ ही क्रान्तिकारी विचारधारा के छींटे भी । धन्यवाद ! ।।सधु चन्द्र।।
राम एक नाम नहीं जीवन का सोपान हैं। दीपावली के टिमटिमाते तारे वाल्मिकी-तुलसी के वरदान हैं। राम है शीतल धारा गंगा की पवित्र पर...
सटीक विश्लेषण
ReplyDeleteसच कहा आपने
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