बात बात में
जो बात को पकड़े
उनसे का करे बात
हिय की बात वो
समझ ही जइहे
बातों की क्या बात!!!
मानव नव रसों की खान है। उसकी सोच से उत्पन्न उसकी प्रतिक्रिया ही यह निर्धारित करती है कि उसका व्यक्तित्व कैसा है ! निश्चय ही मेरी रचनाओं में आपको नवीन एवं पुरातन का समावेश मिलेगा साथ ही क्रान्तिकारी विचारधारा के छींटे भी । धन्यवाद ! ।।सधु चन्द्र।।
राम एक नाम नहीं जीवन का सोपान हैं। दीपावली के टिमटिमाते तारे वाल्मिकी-तुलसी के वरदान हैं। राम है शीतल धारा गंगा की पवित्र पर...
बेहतरीन..
ReplyDeleteसादर..
हार्दिक आभार दीदी
ReplyDeleteबात बात में
ReplyDeleteजो बात को पकड़े
उनसे का करे बात
हिय की बात वो
समझ ही जइहे
बातों की क्या बात!!!
वाह!
वाह!
आभार!
ReplyDeleteसादर