अरुणोदय की लालिमा
छिटकती हुई कहती है कि ...
अभी सवेरा हुआ नहीं।
पर अब रात्रि भी नहीं...
यह रात और दिन के बीच का भंवर है
यह अंधकार और प्रकाश के मध्य की लहर है
छली कुक्कुटों के बाग पर न ध्यान को भटकाओ
यह ध्यान,योग व ज्ञान का समय है
यह परीक्षण का समय है, यह धैर्य का समय है।
शठ रूपी अंधकार से मात्र स्वयं को सुरक्षित कर लो
विद्वता रूपी प्रकाश तुम्हारे शरण में है।
निश्चित कर लो सवेरा तो होगा~~~
बत्तियां बुझा दी किसी ने तो क्या!!
सूरज ने किया तुमपर आवरण है।
🌻🌻🌻
निश्चय ही- वर्तमान का चढ़ाव
भविष्य के ढलान का निर्धारण करता है 🌱
कालक्रमेण जगत: परिवर्तमाना । चक्रारपंक्तिरिव गच्छति भाग्यपंक्तिः ।🌻🌻🌻🌻🌻
बहुत बढिया रचना सधु जी | सकारात्मकता का शब्द चित्र रचती हुई |
ReplyDeleteसादर
Deleteआभार
यह रात और दिन के बीच का भंवर है
ReplyDeleteयह अंधकार और प्रकाश के मध्य की लहर है
छली कुक्कुटों के बाग पर न ध्यान को भटकाओ
यह ध्यान,योग व ज्ञान का समय है
यह परीक्षण का समय है, यह धैर्य का समय है।
शठ रूपी अंधकार से मात्र स्वयं को सुरक्षित कर लो
विद्वता रूपी प्रकाश तुम्हारे शरण में है।
वाह!
आभार!
ReplyDeleteसादर